IUNNATI CHANAKYA NITI CHANAKYA NITI

CHANAKYA NITI

चाणक्य नीति ⚔️

 तृतीय अध्याय 

♦️श्लोक : १५ 

एकानाअ्पि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना। 

आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी।।१५।।

♦️भावार्थ – जैसे चन्द्र के उदय होने पर रात का घनघोर अंधेरा खत्म हो जाता है और हर जगह सुखद चांदनी का डेरा हो जाता है, वैस ही कुल में एक ही सुपुत्र होने से पूरे कुल की प्रतिष्ठा बढ़ जाती है और पूरा कुल प्रसन्न हो जाता 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति    द्वितीय अध्याय  श्लोक :- १२  लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः।  तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न तु लालयेत्।।१२।।  भावार्थ — प्यार-दुलार से बेटे और शिष्य में बहुत से दोष

CHANKAYA NITICHANKAYA NITI

 चाणक्य नीति    तृतीय अध्याय  श्लोक : १४  एकेनाअ्पि सुवृक्षेण पचष्पितेन सुगन्धिना। वासितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं तथा।।१४।। भावार्थ – पुष्पों से लदे और उत्तम सुगन्ध से युक्त एक ही पेड़

CHANAKYA NITI SANSKRIT SHLOKCHANAKYA NITI SANSKRIT SHLOK

चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय श्लोक:-१२ अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेण रावणः। अतिदानात् वालिबद्धो अति सर्वत्र वर्जयेत्।।१२।। भावार्थ – अधिक सुन्दरता ही माँ सीता के अपहरण का कारण हुआ, अधिक गर्व से