IUNNATI CHANAKYA NITI CHANAKYA NITI

CHANAKYA NITI

चाणक्य नीति ⚔️

 तृतीय अध्याय 

♦️श्लोक : १५ 

एकानाअ्पि सुपुत्रेण विद्यायुक्तेन साधुना। 

आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी।।१५।।

♦️भावार्थ – जैसे चन्द्र के उदय होने पर रात का घनघोर अंधेरा खत्म हो जाता है और हर जगह सुखद चांदनी का डेरा हो जाता है, वैस ही कुल में एक ही सुपुत्र होने से पूरे कुल की प्रतिष्ठा बढ़ जाती है और पूरा कुल प्रसन्न हो जाता 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय चाणक्य नीति दैनिक अध्याय 

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय  ।। अथ: चाणक्य सूत्रं प्रारभ्यते ।।【चाणक्य सूत्र】  चाणक्य सूत्र : २१३ ।। प्रज्ञाफलमैश्वर्यम् ।।  भावार्थ:-बुद्धि का ही फल ऐश्वर्य है। संक्षिप्त वर्णन :-संसार में बुद्धिमान मनुष्य

चाणक्य नीति चाणक्य नीति 

चाणक्य नीति    द्वितीय अध्याय  श्लोक :- ९ शैले-शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे-गजे।  साधवे न हि सर्वत्र चन्दनं न वने-वने।।९।।  भावार्थ — हर पहाड़ पर माणिक नहीं मिलते। प्रत्येक हाथी

 चाणक्य नीति  चाणक्य नीति 

 तृतीय अध्याय  श्लोक :- ५ एतदर्थ कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम्। आदिमध्याअ्वसानेषु न त्यजन्ति च ते नृपम्।।५।।  भावार्थ — राजा कुलीन लोगों को साथ इसलिए रखते हैं क्योंकि सु-संस्कारों की वजह