Category: HARI BOL

आदित्य-हृदय स्तोत्र 

आदित्य-हृदय स्तोत्र आदित्य-हृदय स्तोत्र 

आदित्य-हृदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra) आदित्यहृदयम् सूर्य देव की स्तुति के लिए वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड मे लिखे मंत्र हैं। जब राम, रावण से युद्ध के लिये रणक्षेत्र में आमने-सामने

दुर्गा चालीसा

दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)

|| दुर्गा चालीसा || नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥ शशि ललाट मुख महाविशाला ।नेत्र लाल

शिव चालीसा

श्री शिव चालीसा –श्री शिव चालीसा –

|| श्री शिव चालीसा || || दोहा || शिव चालीसा जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान ॥ || चौपाई || जय गिरिजा पति दीन

बजरंग बाण

श्री बजरंग बाणश्री बजरंग बाण

|| श्री बजरंग बाण || निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥ जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी

हनुमान चालीसा

श्री हनुमान चालीसाश्री हनुमान चालीसा

हनुमान चालीसा श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुधि विद्या देहु मोहिं,

हनुमान

श्री हनुमान जन्मोत्सवश्री हनुमान जन्मोत्सव

हनुमान जन्मोत्सव अष्ट सिद्धि, नौ निधि, 108 नाम व चिरंजीवी का अर्थ क्या हनुमान जी ज़िंदा है? हनुमान जन्मोत्सव कब मनाई जाती है? हनुमान जन्मोत्सव हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास

Kedarnath temple
17 आभूषण

रामलला ने सिर से पांव तक पहने हैं कौन-कौन से 17 आभूषणरामलला ने सिर से पांव तक पहने हैं कौन-कौन से 17 आभूषण

रामलला ने सिर से पांव तक पहने हैं कौन-कौन से 17 आभूषण- हमारे प्रभु श्री राम वर्षों बाद अपने घर में सुशज्जित हुए है  अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर

श्रीराम

प्रभु श्रीराम पधार रहे है : पूरा भारत राममयप्रभु श्रीराम पधार रहे है : पूरा भारत राममय

देखत रूप चराचर मोहा. ( श्रीराम ) श्रीराम , कल आपकी छवि निहारी। हमारे तन मन धन्य हो गए, तीनों भुवन धन्य हो गए।आप तो स्वयं धर्म का विग्रह हैं।

श्री कृष्ण

भगवान श्री कृष्ण जी के बारे में सम्पूर्ण जानकारीभगवान श्री कृष्ण जी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

भगवान श्री कृष्ण जी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी कोशल के सत्या से विवाह करने के लिए कृष्ण जी को राजा नागनाजी के सात बैलों को वश में करना पड़ा।