चाणक्य नीति 
 तृतीय अध्याय
 तृतीय अध्याय
 श्लोक : १३
श्लोक : १३
को हि भारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेशाः सविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम्।।१३।।
 भावार्थ – समर्थ व्यक्ति के लिए कौन-सा कार्य मुश्किल है? व्यापारी के लिए कौन-सी जगह दूर है? विद्यावान के लिए विदेश क्या है? मीठा बोलने वाले के लिए कौन पराया है?
भावार्थ – समर्थ व्यक्ति के लिए कौन-सा कार्य मुश्किल है? व्यापारी के लिए कौन-सी जगह दूर है? विद्यावान के लिए विदेश क्या है? मीठा बोलने वाले के लिए कौन पराया है?