IUNNATI CHANAKYA NITI चाणक्य नीति – श्लोक व भावार्थ

चाणक्य नीति – श्लोक व भावार्थ

चाणक्य नीति ⚔️ 

✒️ द्वितीय अध्याय 

♦️श्लोक :- १३ 

श्लोकेन वा तदर्धेन पादेनैकाक्षरेण वा। 

अबन्ध्यं दिवसं कुर्याद् दानाध्ययन कर्मभिः।।१३।। 

♦️भावार्थ — एक श्लोक का अध्ययन, चिंतन, मनन से या आधे श्लोक द्वारा या फिर एक पाद, चौथाई श्लोक से अथवा एक अक्षर के द्वारा सदैव स्वाध्याय करना चाहिए।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

तृतीय अध्याय श्लोक:-४ दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः। सर्पो दंशति कालेन दुर्जनस्तु पदे पदे।।४।। भावार्थ– दुष्ट और सांँप की तुलना की जाए तो दोनों में सांँप बेहतर है।

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय चाणक्य नीति दैनिक अध्याय 

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय  ।। अथ: चाणक्य सूत्रं प्रारभ्यते ।।【चाणक्य सूत्र】  चाणक्य सूत्र : २१३ ।। प्रज्ञाफलमैश्वर्यम् ।।  भावार्थ:-बुद्धि का ही फल ऐश्वर्य है। संक्षिप्त वर्णन :-संसार में बुद्धिमान मनुष्य

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

चाणक्य नीति   द्वितीय अध्याय श्लोक : २ भोज्य भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर्वराङ्गना। विभवो दानशक्तिश्च नाअ्ल्पस्य तपसः फलम्।।२।। भावार्थ — खाने-पीने की चीजों का सुलभ होना, खाने-पीने की क्षमता होना, भोग-विलास की ताकत