IUNNATI CHANAKYA NITI  चाणक्य नीति 

 चाणक्य नीति 

 तृतीय अध्याय 

श्लोक :- ५

एतदर्थ कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम्।

आदिमध्याअ्वसानेषु न त्यजन्ति च ते नृपम्।।५।। 

भावार्थ — राजा कुलीन लोगों को साथ इसलिए रखते हैं क्योंकि सु-संस्कारों की वजह से वे उनकी उन्नति में मददगार होंगे। सामान्य परिस्थितियों में भी वे कुशल सहयोगी साबित होंगे और मुश्किल समय संकट आदि आने पर भी उसका साथ देंगे 

1 thought on “ चाणक्य नीति ”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

 CHANAKYA NITI IN HINDI CHANAKYA NITI IN HINDI

 चाणक्य नीति    द्वितीय अध्याय  श्लोक :- १३  श्लोकेन वा तदर्धेन पादेनैकाक्षरेण वा।  अबन्ध्यं दिवसं कुर्याद् दानाध्ययन कर्मभिः।।१३।।  भावार्थ — एक श्लोक का अध्ययन, चिंतन, मनन से या आधे श्लोक द्वारा

CHANKAYA NITICHANKAYA NITI

 चाणक्य नीति    तृतीय अध्याय  श्लोक : १४  एकेनाअ्पि सुवृक्षेण पचष्पितेन सुगन्धिना। वासितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं तथा।।१४।। भावार्थ – पुष्पों से लदे और उत्तम सुगन्ध से युक्त एक ही पेड़

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

चाणक्य नीति   द्वितिय अध्याय  श्लोक :- १६  बलं विद्या च विप्राणां राज्ञां सैन्यं बलं तथा। बलं वित्तं च वैश्यानां शुद्राणां परिचचर्यिकम्।।१६।।  भावार्थ — विद्वानों का बल विद्या है, राजाओं का