IUNNATI CHANAKYA NITI CHANAKYA NITI

CHANAKYA NITI

चाणक्य नीति ⚔️ 

✒️ द्वितीय अध्याय 

♦️श्लोक :- १२ 

लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः। 

तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न तु लालयेत्।।१२।। 

♦️भावार्थ — प्यार-दुलार से बेटे और शिष्य में बहुत से दोष पैदा हो जाते हैं, जबकि ताड़ना (डांँट-फटकार) से उनका विकास होता हे। अतः संतति और शिष्यों को डाँटते रहना चाहिये। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नमहाराजा विक्रमादित्य के नवरत्न

महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है ! जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके कुछ

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

चाणक्य नीति   द्वितिय अध्याय  श्लोक:-३ यस्य पचत्रो वशीभूतो भार्या छन्दाअ्नुगामिनी। विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।।३।। भावार्थ — जिसका बेटा आज्ञाकारी हो तथा पत्नी पति के अनुकूल आचरण करने वाली

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

 चाणक्य नीति  द्वितीय अध्याय  श्लोक : १ अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलुब्धता।* अशीचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः।।१।। भावार्थ – स्त्रियाँ स्वभाव से असत्य बोलने वाली, बहुत बहादुर, छली, कपटी, धोखेबाज, अत्यंत