तृतीय अध्याय
श्लोक :- ५
एतदर्थ कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम्।
आदिमध्याअ्वसानेषु न त्यजन्ति च ते नृपम्।।५।।
भावार्थ — राजा कुलीन लोगों को साथ इसलिए रखते हैं क्योंकि सु-संस्कारों की वजह से वे उनकी उन्नति में मददगार होंगे। सामान्य परिस्थितियों में भी वे कुशल सहयोगी साबित होंगे और मुश्किल समय संकट आदि आने पर भी उसका साथ देंगे
JAI HO