चाणक्य नीति
द्वितीय अध्याय
श्लोक :- १३
श्लोकेन वा तदर्धेन पादेनैकाक्षरेण वा।
अबन्ध्यं दिवसं कुर्याद् दानाध्ययन कर्मभिः।।१३।।
भावार्थ — एक श्लोक का अध्ययन, चिंतन, मनन से या आधे श्लोक द्वारा या फिर एक पाद, चौथाई श्लोक से अथवा एक अक्षर के द्वारा सदैव स्वाध्याय करना चाहिए।।