IUNNATI CHANAKYA NITI  चाणक्य नीति

 चाणक्य नीति

 चाणक्य नीति ⚔️

✒️ द्वितीय अध्याय 

♦️श्लोक :- ११ 

माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः। 

न शोभते सभामध्ये बको यथा ।।११।। 

♦️भावार्थ — ऐसे माँ-बाप अपनी संतान के दुश्मन है जो उन्हें शिक्षित नहीं करते। अशिक्षित व्यक्ति बुद्धिमानों की सभा में उसी तरह सम्मान नहीं पाता जिस प्रकार हंसों के झुंड में बगुला।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

चाणक्य नीति   द्वितिय अध्याय  श्लोक:-३ यस्य पचत्रो वशीभूतो भार्या छन्दाअ्नुगामिनी। विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।।३।। भावार्थ — जिसका बेटा आज्ञाकारी हो तथा पत्नी पति के अनुकूल आचरण करने वाली

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति   द्वितीय अध्याय  श्लोक:-१० पुत्राश्च विविधैः शीलैर्नियोज्याः सततं बुधैः। नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः।।१०।।  भावार्थ — बुद्धिमान इंसान को अपनी संतान को अच्छे कामों की और लगाना चाहिए, क्योंकि श्रद्धालु

CHANAKYA NITI FAMILY LESSONCHANAKYA NITI FAMILY LESSON

चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय  श्लोक : १८ लालयेत् पञ्च वर्षाणि दश वर्षाणि ताडयेत्।  प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्।।१८।।  भावार्थ – पाँच साल तक लाड़-प्यार, दस साल तक सख़्ती और