चाणक्य नीति 
 द्वितीय अध्याय
 द्वितीय अध्याय 
 श्लोक:-१०
श्लोक:-१०
पुत्राश्च विविधैः शीलैर्नियोज्याः सततं बुधैः।
नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः।।१०।।
 भावार्थ — बुद्धिमान इंसान को अपनी संतान को अच्छे कामों की और लगाना चाहिए, क्योंकि श्रद्धालु शीलवान और नीतिज्ञ व्यक्ति ही विश्व में पूजे जाते हैं।।
भावार्थ — बुद्धिमान इंसान को अपनी संतान को अच्छे कामों की और लगाना चाहिए, क्योंकि श्रद्धालु शीलवान और नीतिज्ञ व्यक्ति ही विश्व में पूजे जाते हैं।।
