चाणक्य नीति
तृतीय अध्याय
श्लोक : ८
रुपयौवनसम्पन्नाः विशालकुलसम्भवाः।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्ध इव किंशुकाः।।८।।
भावार्थ— सुंदरता और युवा अवस्था से संपन्न और बड़े कुल में पैदा होने पर भी विद्या से रहित व्यक्ति वैसे ही सुशोभित नहीं होते, जैसे खुशबू के बिना किंतु किंशुक पुष्प शोभायमान नहीं होते।।