चाणक्य नीति  
 
 द्वितीय अध्याय
 द्वितीय अध्याय 
 श्लोक :- १२
श्लोक :- १२ 
लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः।
तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न तु लालयेत्।।१२।।
 भावार्थ — प्यार-दुलार से बेटे और शिष्य में बहुत से दोष पैदा हो जाते हैं, जबकि ताड़ना (डांँट-फटकार) से उनका विकास होता हे। अतः संतति और शिष्यों को डाँटते रहना चाहिये।
भावार्थ — प्यार-दुलार से बेटे और शिष्य में बहुत से दोष पैदा हो जाते हैं, जबकि ताड़ना (डांँट-फटकार) से उनका विकास होता हे। अतः संतति और शिष्यों को डाँटते रहना चाहिये। 
