चाणक्य नीति 
 द्वितीय अध्याय
 द्वितीय अध्याय 
 श्लोक :- ११
श्लोक :- ११ 
माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।
न शोभते सभामध्ये बको यथा ।।११।।
 भावार्थ — ऐसे माँ-बाप अपनी संतान के दुश्मन है जो उन्हें शिक्षित नहीं करते। अशिक्षित व्यक्ति बुद्धिमानों की सभा में उसी तरह सम्मान नहीं पाता जिस प्रकार हंसों के झुंड में बगुला।।
भावार्थ — ऐसे माँ-बाप अपनी संतान के दुश्मन है जो उन्हें शिक्षित नहीं करते। अशिक्षित व्यक्ति बुद्धिमानों की सभा में उसी तरह सम्मान नहीं पाता जिस प्रकार हंसों के झुंड में बगुला।।