IUNNATI CHANAKYA NITI CHANAKYA NITI

CHANAKYA NITI

 चाणक्य नीति ⚔️

✒️ तृतीय अध्याय

श्लोक : १०

त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थ कुल त्यजेत्।

ग्रामं जनपदस्याअ्र्थे आत्माअ्र्थे पृथिवीं त्यजेत्।।१०।।

♦️भावार्थ – कुल के लिए अगर व्यक्ति को छोड़ना पड़े तो ख़ुशी-ख़ुशी छोड़ देना चाहिए। गाँव के हित के लिए ज़रूरत पड़े तो कुल को त्याग देना चाहिए। जनपद के लिए गाँव को छोड़ देना चाहिए और स्वयं के लिए पुरी पृथ्वी का त्याग कर देना चाहिए।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति  तृतीय अध्याय श्लोक:-३ सुकुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजयेत्। व्यसने योजयेच्छत्रु मित्रं धर्मे नियोजयेत्।।३।। भावार्थ– कन्या या बेटी को अच्छे कुल में देना चाहिए और पुत्र को विद्या में लगाना

चाणक्य सूत्रचाणक्य सूत्र

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय  ।। अथ: चाणक्य सूत्रं प्रारभ्यते ।। 【चाणक्य सूत्र】 चाणक्य सूत्र : २१७ ॥ न दुर्जनैः सह संसर्गः कर्त्तव्यः ।। भावार्थ:- बुद्धिमान व्यक्तियों को दुष्ट लोगों से

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय चाणक्य नीति दैनिक अध्याय 

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय  ।। अथ: चाणक्य सूत्रं प्रारभ्यते ।।【चाणक्य सूत्र】  चाणक्य सूत्र : २१३ ।। प्रज्ञाफलमैश्वर्यम् ।।  भावार्थ:-बुद्धि का ही फल ऐश्वर्य है। संक्षिप्त वर्णन :-संसार में बुद्धिमान मनुष्य