चाणक्य नीति
 द्वितीय अध्याय
 द्वितीय अध्याय 
 श्लोक : १
श्लोक : १
अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलुब्धता।*
अशीचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः।।१।।
 भावार्थ – स्त्रियाँ स्वभाव से असत्य बोलने वाली, बहुत बहादुर, छली, कपटी, धोखेबाज, अत्यंत लोभी, अपवित्र और दया माया से रहित होती है
भावार्थ – स्त्रियाँ स्वभाव से असत्य बोलने वाली, बहुत बहादुर, छली, कपटी, धोखेबाज, अत्यंत लोभी, अपवित्र और दया माया से रहित होती है
