IUNNATI SHIV PURAN भगवान शिव के “51” रहस्य 

भगवान शिव के “51” रहस्य 

भगवान शिव के “51” रहस्य  post thumbnail image

भगवान शिव के “51” रहस्य 

भगवान शिव के बारे में संपूर्ण जानकारी 

भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है।

 1. आदिनाथ शिव

सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें ‘आदिदेव’ भी कहा जाता है। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ। आदिनाथ होने के कारण उनका एक नाम ‘आदिश’ भी है।

 2. शिव के अस्त्र-शस्त्र

शिव का धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु और सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। उक्त सभी का उन्होंने ही निर्माण किया था।

3. भगवान शिव का नाग

शिव के गले में जो नाग लिपटा रहता है उसका नाम वासुकि है। वासुकि के बड़े भाई का नाम शेषनाग है।

4. शिव की अर्द्धांगिनी

शिव की पहली पत्नी सती ने ही अगले जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया और वही उमा, उर्मि, काली कही गई हैं।

5. शिव के पुत्र

शिव के प्रमुख 6 पुत्र हैं- गणेश, कार्तिकेय, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा। सभी के जन्म की कथा रोचक है।

6. शिव के शिष्य

शिव के 7 शिष्य हैं जिन्हें प्रारंभिक सप्तऋषि माना गया है। इन ऋषियों ने ही शिव के ज्ञान को संपूर्ण धरती पर प्रचारित किया जिसके चलते भिन्न-भिन्न धर्म और संस्कृतियों की उत्पत्ति हुई। शिव ने ही गुरु और शिष्य परंपरा की शुरुआत की थी। शिव के शिष्य हैं- बृहस्पति, विशालाक्ष, शुक्र, सहस्राक्ष, महेन्द्र, प्राचेतस मनु, भरद्वाज इसके अलावा 8वें गौरशिरस मुनि भी थे।

7. शिव के गण

शिव के गणों में भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय प्रमुख हैं। इसके अलावा, पिशाच, दैत्य और नाग-नागिन, पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है।

8. शिव पंचायत

भगवान सूर्य, गणपति, देवी, रुद्र और विष्णु ये शिव पंचायत कहलाते हैं।

9. शिव के द्वारपाल

नंदी, स्कंद, रिटी, वृषभ, भृंगी, गणेश, उमा-महेश्वर और महाकाल।

10. शिव पार्षद

जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी आदि शिव के पार्षद हैं।

भगवान शिव के “51” रहस्य 

11. सभी धर्मों का केंद्र शिव

शिव की वेशभूषा ऐसी है कि प्रत्येक धर्म के लोग उनमें अपने प्रतीक ढूंढ सकते हैं। मुशरिक, यजीदी, साबिईन, सुबी, इब्राहीमी धर्मों में शिव के होने की छाप स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। शिव के शिष्यों से एक ऐसी परंपरा की शुरुआत हुई, जो आगे चलकर शैव, सिद्ध, नाथ, दिगंबर और सूफी संप्रदाय में वि‍भक्त हो गई।

 12. बौद्ध साहित्य के मर्मज्ञ

अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान प्रोफेसर उपासक का मानना है कि शंकर ने ही बुद्ध के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने पालि ग्रंथों में वर्णित 27 बुद्धों का उल्लेख करते हुए बताया कि इनमें बुद्ध के 3 नाम अतिप्राचीन हैं- तणंकर, शणंकर और मेघंकर।

13. देवता और असुर दोनों के प्रिय शिव

भगवान शिव को देवों के साथ असुर, दानव, राक्षस, पिशाच, गंधर्व, यक्ष आदि सभी पूजते हैं। वे रावण को भी वरदान देते हैं और राम को भी। उन्होंने भस्मासुर, शुक्राचार्य आदि कई असुरों को वरदान दिया था। शिव, सभी आदिवासी, वनवासी जाति, वर्ण, धर्म और समाज के सर्वोच्च देवता हैं।

 14. शिव चिह्न

वनवासी से लेकर सभी साधारण व्‍यक्ति जिस चिह्न की पूजा कर सकें, उस पत्‍थर के ढेले, बटिया को शिव का चिह्न माना जाता है। इसके अलावा रुद्राक्ष और त्रिशूल को भी शिव का चिह्न माना गया है। कुछ लोग डमरू और अर्द्ध चन्द्र को भी शिव का चिह्न मानते हैं, हालांकि ज्यादातर लोग शिवलिंग अर्थात शिव की ज्योति का पूजन करते हैं।

15. शिव की गुफा

शिव ने भस्मासुर से बचने के लिए एक पहाड़ी में अपने त्रिशूल से एक गुफा बनाई और वे फिर उसी गुफा में छिप गए। वह गुफा जम्मू से 150 किलोमीटर दूर त्रिकूटा की पहाड़ियों पर है। दूसरी ओर भगवान शिव ने जहां पार्वती को अमृत ज्ञान दिया था वह गुफा ‘अमरनाथ गुफा’ के नाम से प्रसिद्ध है।

16. शिव के पैरों के निशान

श्रीपद- श्रीलंका में रतन द्वीप पहाड़ की चोटी पर स्थित श्रीपद नामक मंदिर में शिव के पैरों के निशान हैं। ये पदचिह्न 5 फुट 7 इंच लंबे और 2 फुट 6 इंच चौड़े हैं। इस स्थान को सिवानोलीपदम कहते हैं। कुछ लोग इसे आदम पीक कहते हैं।

रुद्र पद- तमिलनाडु के नागपट्टीनम जिले के थिरुवेंगडू क्षेत्र में श्रीस्वेदारण्येश्‍वर का मंदिर में शिव के पदचिह्न हैं जिसे ‘रुद्र पदम’ कहा जाता है। इसके अलावा थिरुवन्नामलाई में भी एक स्थान पर शिव के पदचिह्न हैं।

तेजपुर- असम के तेजपुर में ब्रह्मपुत्र नदी के पास स्थित रुद्रपद मंदिर में शिव के दाएं पैर का निशान है।

जागेश्वर- उत्तराखंड के अल्मोड़ा से 36 किलोमीटर दूर जागेश्वर मंदिर की पहाड़ी से लगभग साढ़े 4 किलोमीटर दूर जंगल में भीम के पास शिव के पदचिह्न हैं। पांडवों को दर्शन देने से बचने के लिए उन्होंने अपना एक पैर यहां और दूसरा कैलाश में रखा था।

 रांची- झारखंड के रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर की दूरी पर ‘रांची हिल’ पर शिवजी के पैरों के निशान हैं। इस स्थान को ‘पहाड़ी बाबा मंदिर’ कहा जाता है।

17. शिव के अवतार

वीरभद्र, पिप्पलाद, नंदी, भैरव, महेश, अश्वत्थामा, शरभावतार, गृहपति, दुर्वासा, हनुमान, वृषभ, यतिनाथ, कृष्णदर्शन, अवधूत, भिक्षुवर्य, सुरेश्वर, किरात, सुनटनर्तक, ब्रह्मचारी, यक्ष, वैश्यानाथ, द्विजेश्वर, हंसरूप, द्विज, नतेश्वर आदि हुए हैं। वेदों में रुद्रों का जिक्र है। 

रुद्र 11 बताए जाते हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शंभू, चण्ड तथा भव।

18. शिव का विरोधाभासिक परिवार

शिवपुत्र कार्तिकेय का वाहन मयूर है, जबकि शिव के गले में वासुकि नाग है। स्वभाव से मयूर और नाग आपस में दुश्मन हैं। इधर गणपति का वाहन चूहा है, जबकि सांप मूषकभक्षी जीव है। पार्वती का वाहन शेर है, लेकिन शिवजी का वाहन तो नंदी बैल है। इस विरोधाभास या वैचारिक भिन्नता के बावजूद परिवार में एकता है।

19.ति‍ब्बत स्थित कैलाश पर्वत पर उनका निवास है।

जहां पर शिव विराजमान हैं उस पर्वत के ठीक नीचे पाताल लोक है जो भगवान विष्णु का स्थान है। शिव के आसन के ऊपर वायुमंडल के पार क्रमश: स्वर्ग लोक और फिर ब्रह्माजी का स्थान है।

20.शिव भक्त

ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवी-देवताओं सहित भगवान राम और कृष्ण भी शिव भक्त है। हरिवंश पुराण के अनुसार, कैलास पर्वत पर कृष्ण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। भगवान राम ने रामेश्वरम में शिवलिंग स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की थी

21.शिव ध्यान

शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान-पूजन किया जाता है। शिवलिंग को बिल्वपत्र चढ़ाकर शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग पुष्ट होता है।

जय श्री महाकाल

” 51″ secrets of Lord Shiva

Complete information about Lord Shiva Lord Shiva i.e. Parvati’s husband Shankar who is called Mahadev, Bholenath, Adinath etc. 

 1. Adinath Shiv Shiva was the first to try to propagate life on earth, hence he is also called ‘Adidev’. ‘Adi’ means beginning. Being Adinath, his name is also ‘Aadish’.

 2. Shiva’s weapons Shiva’s bow is Pinaka, Chakra is Bhavarendu and Sudarshan, weapon is Pashupatastra and weapon is Trishul. He had created all the above. 

 3. Lord Shiva’s snake The name of the snake that is wrapped around Shiva’s neck is Vasuki. Vasuki’s elder brother’s name is Sheshnag. 

 4. Shiva’s better half Shiva’s first wife Sati was born as Parvati in the next life and she is called Uma, Urmi, Kali. 

 5.Son of Shiva Shiva has six main sons – Ganesha, Kartikeya, Sukesh, Jalandhar, Ayyappa and Bhuma. Everyone’s birth story is interesting. 

 6. Shiva’s disciple Shiva has 7 disciples who are considered to be the initial Saptarishis. It was these sages who spread the knowledge of Shiva all over the earth, due to which different religions and cultures came into existence. It was Shiva who started the Guru and disciple tradition. Shiva’s disciples are – Brihaspati, Vishalaksh, Shukra, Sahasraksh, Mahendra, Prachetas Manu, Bharadwaj, apart from this there was also the 8th Gaurashiras Muni. 

 7. Lord Shiva Bhairava, Veerbhadra, Manibhadra, Chandis, Nandi, Shringi, Bhrigiriti, Shail, Gokarna, Ghantakarna, Jai and Vijay are prominent among Shiva’s Ganas. Apart from this, vampires, demons, snakes and animals are also considered to be part of Shiva. 

 8. Shiv Panchayat Lord Surya, Ganapati, Devi, Rudra and Vishnu are called Shiv Panchayat. 

 9. Shiva’s gatekeeper Nandi, Skanda, Riti, Vrishabha, Bhrungi, Ganesha, Uma-Maheshwar and Mahakal. 

 10. Shiv Parshad Just as Jai and Vijay are the advisors of Vishnu, similarly Baan, Ravana, Chand, Nandi, Bhringi etc. are the advisors of Shiva. “51” secrets of Lord Shiva 

 11. Shiva is the center of all religions. Shiva’s attire is such that people of every religion can find their symbols in him. The imprint of Shiva’s presence can be clearly seen in Mushrik, Yazidi, Sabine, Subi and Abrahamic religions. A tradition started with the disciples of Shiva, which later got divided into Shaiva, Siddha, Nath, Digambara and Sufi sects.

 12. Connoisseur of Buddhist literature Internationally renowned scholar Professor Upasak believes that Shankar himself was born as Buddha. Referring to the 27 Buddhas mentioned in the Pali scriptures, he said that among these, three names of Buddha are very ancient – Tanankar, Shanankar and Meghankar.  

13. Shiva, beloved by both gods and demons Lord Shiva is worshiped along with the gods by all the demons, devils, rakshasas, vampires, Gandharvas, Yakshas etc. He gives boon to Ravana and also to Ram. He had given boon to many demons like Bhasmasur, Shukracharya etc. Shiva is the supreme deity of all tribal, forest dweller caste, varna, religion and society.

14. Shiva Icon The symbol which can be worshiped by everyone from forest dwellers to common people, that stone lump or pot is considered to be the symbol of Shiva. Apart from this, Rudraksha and Trishul are also considered symbols of Shiva. Some people also consider Damru and the crescent moon as symbols of Shiva, although most people worship Shivalinga i.e. the light of Shiva.

15. Shiva’s Cave Shiva created a cave with his trident in a hill to escape from Bhasmasura and he then hid in the same cave. That cave is on the Trikuta hills, 150 kilometers from Jammu. On the other hand, the cave where Lord Shiva gave the nectar of knowledge to Parvati is famous by the name of ‘Amarnath Cave’.

 16. Footprints of Shiva Shripad- There are footprints of Shiva in a temple named Shripad located on the top of Ratan Island mountain in Sri Lanka. These footprints are 5 feet 7 inches long and 2 feet 6 inches wide. This place is called Sivanolipadam. Some people call it Adam’s Peak. 

 Rudra Padam – The temple of Srisvedaraneeshwar in Thiruvengadu area of ​​Nagapattinam district of Tamil Nadu has the footprints of Shiva which is called ‘Rudra Padam’. Apart from this, there are footprints of Shiva at a place in Thiruvannamalai also.  

Tezpur- There is a mark of Shiva’s right foot in the Rudrapada temple located near the Brahmaputra river in Tezpur, Assam. Jageshwar- 36 kilometers away from Almora, Uttarakhand, about 4 and a half kilometers away from the hill of Jageshwar temple, there are footprints of Shiva near Bhima in the forest. To avoid giving darshan to the Pandavas, he placed one foot here and the other in Kailash.  

Ranchi- There are footprints of Lord Shiva on ‘Ranchi Hill’, 7 kilometers from Ranchi Railway Station in Jharkhand. This place is called ‘Pahari Baba Temple’.

 17. Incarnations of Shiva Veerbhadra, Pippalad, Nandi, Bhairav, Mahesh, Ashwatthama, Sharbhavatara, Grihapati, Durvasa, Hanuman, Vrishabha, Yatinath, Krishnadarshan, Avadhoot, Bhikshuvarya, Sureshwar, Kirat, Suntanartak, Brahmachari, Yaksha, Vaishyanath, Dwijeshwar, Hansroop, Dwija, Nateshwar etc. Has happened. Rudras are mentioned in the Vedas. Rudra are said to be 11 – Kapali, Pingal, Bhima, Virupaksha, Vilohit, Shasta, Ajapad, Apirbudhya, Shambhu, Chand and Bhava. 

 18. Shiva’s paradoxical family Shiva’s son Kartikeya’s vehicle is a peacock, while Shiva has the serpent Vasuki around his neck. Peacock and snake are enemies by nature. Here Ganapati’s vehicle is a rat, while the snake is a rodent. Parvati’s vehicle is a lion, but Shiva’s vehicle is Nandi the bull. Despite this contradiction or ideological difference, there is unity in the family.

 19. His residence is on Mount Kailash in Tibet. Just below the mountain where Shiva sits, is the underworld which is the place of Lord Vishnu. Above the seat of Shiva, beyond the atmosphere, there is heaven and then Brahmaji’s place respectively.

 20. Shiva devotee Lord Rama and Krishna along with Brahma, Vishnu and all the Gods and Goddesses are also devotees of Shiva. According to Harivansh Purana, Krishna performed penance on Mount Kailash to please Shiva. Lord Rama established Shivalinga in Rameshwaram and worshiped him. 

 21. Shiva meditation For the devotion of Shiva, meditation and worship of Shiva is done. By offering Bilva leaves to Shivalinga and chanting mantras or meditating near Shivalinga, the path to salvation is confirmed. 

 Jai Shree Mahakal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

शिव पुराण पैंतालीसवां अध्याय : शिव का सुंदर व दिव्य स्वरूप दर्शनशिव पुराण पैंतालीसवां अध्याय : शिव का सुंदर व दिव्य स्वरूप दर्शन

शिव पुराण   पैंतालीसवां अध्याय – श्री रूद्र संहिता (तृतीय खंड)  विषय:–शिव का सुंदर व दिव्य स्वरूप दर्शन  ब्रह्माजी बोले- हे नारद! उस समय जब देवी मैना ने विष्णुजी के सामने

शिव पुराण चौदहवां अध्याय द्वितीय खंडशिव पुराण चौदहवां अध्याय द्वितीय खंड

शिव पुराण  चौदहवां अध्याय – श्री रूद्र संहिता (द्वितीय खंड) विषय :- दक्ष की साठ कन्याओं का विवाह ब्रह्माजी बोले- हे मुनिराज ! दक्ष के इस रूप को जानकर मैं

शिव पुराण अट्ठाईसवां अध्याय- शिव-पार्वती संवादशिव पुराण अट्ठाईसवां अध्याय- शिव-पार्वती संवाद

शिव पुराण  अट्ठाईसवां अध्याय – श्री रूद्र संहिता (तृतीय खंड) विषय:–शिव-पार्वती संवाद ब्रह्माजी कहते हैं-नारद! परमेश्वर भगवान शिव की बातें सुनकर और उनके साक्षात स्वरूप का दर्शन पाकर देवी पार्वती