श्री कृष्ण भजन
भक्ति
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे |
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी, अँखियाँ प्यासी रे |
मन मंदिर की जोत जगा दो, घाट घाट वासी रे ॥ॐ॥
मंदिर मंदिर मूरत तेरी, फिर भी न दीखे सूरत तेरी |
युग बीते ना आई मिलन की पूरनमासी रे ॥ॐ॥
द्वार दया का जब तू खोले, पंचम सुर में गूंगा बोले |
अंधा देखे लंगड़ा चल कर पँहुचे काशी रे ॥ॐ॥
पानी पी कर प्यास बुझाऊँ, नैनन को कैसे समजाऊँ |
आँख मिचौली छोड़ो अब तो मन के वासी रे ॥ॐ॥
निबर्ल के बल धन निधर्न के, तुम रखवाले भक्त जनों के |
तेरे भजन में सब सुख़ पाऊं, मिटे उदासी रे ॥ॐ॥
नाम जपे पर तुझे ना जाने, उनको भी तू अपना माने |
तेरी दया का अंत नहीं है, हे दुःख नाशी रे ॥ॐ॥
आज फैसला तेरे द्वार पर, मेरी जीत है तेरी हार पर |
हर जीत है तेरी मैं तो, चरण उपासी रे ॥ॐ॥
द्वार खडा कब से मतवाला, मांगे तुम से हार तुम्हारी |
नरसी की ये बिनती सुनलो, भक्त विलासी रे ॥ॐ॥
लाज ना लुट जाए प्रभु तेरी, नाथ करो ना दया में देरी |
तिन लोक छोड़ कर आओ, गंगा निवासी रे ॥ॐ॥
बनवारी रे, जीने का सहारा तेरा नाम रे
बनवारी रे, जीने का सहारा तेरा नाम रे
मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे ॥ॐ॥
झूठी दुनिया, झूठे बंधन, झूठी है ये माया |
झूठा साँस का आना जाना, झूठी है ये काया ॥ॐ॥
यहाँ साँचा तेरा नाम रे
रंग में तेरे रंग गयी गिरिधर, छोड़ दिया जग सारा
बन गयी तेरे प्रेम के जोगी, ले के मन एकतारा
मुझे प्यारा तेरा धाम रे, बनवारी रे ॥ॐ॥
दर्शन तेरा जिस दिन पाऊँ, हर चिन्ता मिट जाये
जीवन मेरा इन चरणों में, आस की ज्योत जगाये
मेरी बाँहें पकड़ लो श्याम रे, बनवारी रे ॥ॐ॥