चाणक्य नीति 
 द्वितिय अध्याय
 द्वितिय अध्याय 
 श्लोक :- १६
श्लोक :- १६ 
बलं विद्या च विप्राणां राज्ञां सैन्यं बलं तथा।
बलं वित्तं च वैश्यानां शुद्राणां परिचचर्यिकम्।।१६।।
 भावार्थ — विद्वानों का बल विद्या है, राजाओं का बल सेना व्यापारियों का बल धन और अशिक्षितों का बल सेवा है।।
भावार्थ — विद्वानों का बल विद्या है, राजाओं का बल सेना व्यापारियों का बल धन और अशिक्षितों का बल सेवा है।।
चाणक्य नीति 
 द्वितिय अध्याय
 द्वितिय अध्याय 
 श्लोक :- १६
श्लोक :- १६ 
बलं विद्या च विप्राणां राज्ञां सैन्यं बलं तथा।
बलं वित्तं च वैश्यानां शुद्राणां परिचचर्यिकम्।।१६।।
 भावार्थ — विद्वानों का बल विद्या है, राजाओं का बल सेना व्यापारियों का बल धन और अशिक्षितों का बल सेवा है।।
भावार्थ — विद्वानों का बल विद्या है, राजाओं का बल सेना व्यापारियों का बल धन और अशिक्षितों का बल सेवा है।।