IUNNATI SHIV PURAN महाशिवरात्रि व्रत कथा पूजन विधि

महाशिवरात्रि व्रत कथा पूजन विधि

महाशिवरात्रि व्रत कथा पूजन विधि post thumbnail image

महाशिवरात्रि व्रत जानकारी , पूजन विधि व संपूर्ण जानकारी

महाशिवरात्रि व्रत हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर वर्ष हिन्दी पंचांग के माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जिसे “महाशिवरात्रि” कहा जाता है। इसे शिव पुराण के अनुसार माता पार्वती ने शिव भगवान की पतिव्रता साधने के लिए श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को बनाया था।

महाशिवरात्रि व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना, शिवलिंग पर जलाये जाने वाले बिल्वपत्र, रुद्राक्ष माला का धारण, शिवजी की आराधना, शिवजी की कहानियों का सुनना, व्रत और ध्यान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। शिव मंदिरों में भी आयोजन होता है और सभी भक्तगण रात्रि जागरण करते हैं।

शिवरात्रि की कथा

महाशिवरात्रि की कथा भगवान शिव और पार्वती के प्रेम के परिप्रेक्ष्य में है। शिव पुराण के अनुसार, एक समय में देवी पार्वती ने अपने पति शिव से पूछा, “क्या मैं आपके लिए सबसे प्यारी हूँ?” शिव भगवान ने उत्तर दिया, “तुम मेरे लिए सबसे प्यारी हो, पर मैं ब्रह्मा और विष्णु की तरह बहुत आसानी से वरदान नहीं देता हूँ।”

पार्वती ने इस पर अत्यंत दुःख और विषाद से भरा हृदय रखते हुए व्रत रखा और बहुत दिनों तक भगवान शिव की तपस्या की। उन्होंने अपनी तपस्या के बहुतार वर्षों तक प्रदूषण में बिताए और शिव भगवान को प्राप्त करने का उद्देश्य रखा।

अन्त में, एक दिन भगवान शिव ने देवी पार्वती की तपस्या को देखा और उनसे पूछा, “तुम क्यों तपस्या कर रही हो?” पार्वती जी ने उत्तर दिया, “मैंने आपको प्राप्त करने का उद्देश्य रखा है, क्योंकि मैं आपसे सबसे प्यारी हूँ।” इस पर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनकी कठिनाईयों को दूर करने का वरदान दिया।

इसी दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है, और इसे शिव भक्तों द्वारा विशेष भक्ति और ध्यान के साथ मनाया जाता है। लोग शिव मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और रात्रि भर जागरण करते हैं।

महाशिवरात्रि व्रत पूजा

व्रत की शुरुआत व्रत की शुरुआत शिव पुराण कथा, मंत्र, और श्लोकों के पाठ से करें। स्नान व्रत रखने वाले को उषा काल में नीलकंठी महादेव के दर्शन के बाद स्नान करना चाहिए।

पूजा सामग्री शिवलिंग की पूजा के लिए धारांतर, बेल पत्र, धूप, दीप, अर्क, गंगा जल, रुद्राक्ष माला, बिल्वपत्र, बृंदावनी (तृणमूल), रोली, अगरबत्ती, और पुष्प आदि आवश्यक हैं।

पूजा विधि शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं, फिर गंगा जल से स्नान कराएं। बिल्वपत्र, कुम्भ, धूप, दीप, पुष्प, अर्क, रुद्राक्ष माला, बेल पत्र, और प्रासाद के रूप में ब्राह्मणों को भोग दें। 

महामृत्युंजय मंत्र अधिक से अधिक बार शिव मंत्रों, विशेषकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। 
व्रत समापन व्रत को अनुष्ठान से समाप्त करते समय शिवलिंग का पूजन करें और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें। 
जागरण रात्रि में जागरण का आयोजन करें, भजन कीजिए और भक्ति भाव से महादेव की स्तुति करें।

महाशिवरात्रि व्रत करने के लाभ

पवित्रता का अनुभव महाशिवरात्रि व्रत से व्यक्ति अपने आत्मा को शुद्ध करने और दिव्यता को महसूस करने का अनुभव कर सकता है।पूजा और ध्यान
 
शिवलिंग की पूजा, मंत्र जाप और ध्यान से मन को शांति, संतुलन, और आत्मा के प्रति आदर्श भाव मिल सकता है।पापों का नाश भगवान शिव के पूजन और व्रत से व्यक्ति के पापों का नाश हो सकता है, और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति में सहायक हो सकता है।साधना का अवसर व्रत के दौरान ध्यान, जाप, और भक्ति में लगने का अवसर होता है, जिससे आत्मा का साधना में विकास हो सकता है। 
दान का महत्व महाशिवरात्रि पर दान करना एक पुण्यकारी कृत्य हो सकता है, जो दुखिगणों को आर्थिक सहायता पहुंचा सकता है। 
कुटुम्ब के साथ साझा इस त्योहार के मौके पर परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर पूजा करना और व्रत का पालन करना परिवार में एकता और समर्थन बढ़ा सकता है।ये लाभ सिर्फ आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भी हो सकते हैं, जो व्यक्ति को सबसे पूर्ण और सकारात्मक दिशा में ले जाते हैं।

2 thoughts on “महाशिवरात्रि व्रत कथा पूजन विधि”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

शिव पुराण चौबीसवां अध्याय – शिव जी की आज्ञा से सती द्वारा श्रीराम की परीक्षाशिव पुराण चौबीसवां अध्याय – शिव जी की आज्ञा से सती द्वारा श्रीराम की परीक्षा

शिव पुराण   चौबीसवां अध्याय – श्री रूद्र संहिता (द्वितीय खंड)  विषय :-शिव की आज्ञा से सती द्वारा श्रीराम की परीक्षा  नारद जी बोले- हे ब्रह्मन्! हे महाप्राज्ञ! हे दयानिधे! आपने

शिव पुराण चवालीसवां अध्याय – मैना का विलाप एवं हठशिव पुराण चवालीसवां अध्याय – मैना का विलाप एवं हठ

शिव पुराण   चवालीसवां अध्याय – श्री रूद्र संहिता (तृतीय खंड) विषय:–मैना का विलाप एवं हठ  ब्रह्माजी बोले- नारद! जब हिमालय पत्नी मैना को होश आया तब वे बड़ी दुखी थीं

HAR HAR MAHADEV

भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा क्यों ?भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा क्यों ?

भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा क्यों ? शिवजी की आधी परिक्रमा करने का विधान है। वह इसलिए की शिव के सोमसूत्र को लांघा नहीं जाता है। जब व्यक्ति आधी परिक्रमा