धर्म ज्ञानः गाय को माता क्यों कहते हैं, इनकी पूजा और सेवा के फायदे भी जानें
हिंदू धर्म में गाय को माता कहा गया है। पुराणों में धर्म को भी गौ रूप में दर्शाया गया है।भगवान श्रीकृष्ण गाय की सेवा अपने हाथों से करते थे और इनका निवास भी गोलोक बताया गया है। इतना ही नहीं गाय को कामधेनु के रूप में सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला भी बताया गया है। हिंदू धर्म में गाय के इस महत्व के पीछे कई कारण हैं जिनका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी है।
मां शब्द की उत्पत्ति गौवंश से हुई
आज भी भारतीय समाज में गाय को गौ माता कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तो सबसे पहले गाय को ही पृथ्वी पर भेजा था। सभी जानवरों में मात्र गाय ही ऐसा जानवर है जो मां शब्द का उच्चारण करता है, इसलिए माना जाता है कि मां शब्द की उत्पत्ति भी गौवंश से हुई है। गाय हम सब को मां की तरह अपने दूध से पालती-पोषती है। आयुर्वेद के अनुसार भी मां के दूध के बाद बच्चे के लिए सबसे फायदेमंद गाय का ही दूध होता है।
गौ पूजन से इच्छाओं की पूर्ति
धार्मिक आस्था है कि गौ पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। घर की समृद्धि के लिए घर में गाय का होना बहुत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि विद्यार्थियों को अध्ययन के साथ ही गाय की सेवा भी करनी चाहिए। इससे उनका मानसिक विकास तेजी से होता है। संतान और धन की प्राप्ति के लिए भी गाय को चारा खिलाना और उसकी सेवा करना बेहतर परिणामदायक माना गया है।
गाय के सींग में ब्रह्मा, विष्णु, महेश
भविष्य पुराण के अनुसार गाय के सींगों में तीनों लोकों के देवी-ेदेवता विद्यमान रहते हैं। सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा और पालनकर्ता विष्णु गाय के सींगों के निचले हिस्से में विराजमान हैं तो गाय के सींग के मध्य में शिव शंकर विराजते हैं। गौ के ललाट में मां गौरी तथा नासिका भाग में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं।
गाय सांस से खींच लेती है सारे पाप
धार्मिक आस्था है कि गाय अपनी सेवा करनेवाले व्यक्ति के सारे पाप अपनी सांस के जरिए खींच लेती है। गाय जहां पर बैठती है, वहां के वातावरण को शुद्ध करके सकारात्मकता से भर देती है। ऐसा शायद इसलिए कहा जाता है क्योंकि गाय जहां भी बैठती है, वहां पूरी निर्भीकता से बैठती है। कहा जाता है कि अपनी बैठी हुई जगह के सारे पापों को अपने अंदर समाकर, उस जगह को शुद्ध कर देने की क्षमता होती है गाय में।
गौमूत्र होता है फायदेमंद
एक तरफ जहां गाय का गोबर पवित्र कार्यों के दौरान घर को लीपने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है, वहीं गाय के गोबर से बने कंडे (उपले) हवन करने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। माना जाता है कि गाय के गोबर से हवन करने पर वातावरण और घर के आस-पास मौजूद कीड़े भाग जाते हैं और वायु शुद्ध होती है। वहीं, गौमूत्र को कई तरह की दवाइयां बनाने में प्रयोग किया जाता है। क्योंकि इसमें रोगाणुओं को मारने की क्षमता होती है।