पता नहीं किस रूप में आकर “नारायण ” मिल जाएगापता नहीं किस रूप में आकर “नारायण ” मिल जाएगा

समय हाथ से निकल गया तोसिर धुन धुन पछतायेगानिर्मल मन के दर्पण में वहराम के दर्शन पायेगा राम नाम के साबुन से जोमन का मेल छुडायेगानिर्मल मन के दर्पण में

BHAJANBHAJAN

“अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे” अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे,तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥ हमारे लिए क्यों देर किए हो,हमारे लिए क्यों देर किए हो,गणिका अजामिल को