IUNNATI CHANAKYA NITI CHANAKYA NITI IN HINDI

CHANAKYA NITI IN HINDI

 चाणक्य नीति 

 तृतीय अध्याय

श्लोक : ९

 कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणां रूपं पतिव्रतम्।विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम्।।९।।

भावार्थ-– कोयल की सुंदरता उसकी वाणी है, स्त्री की सुंदरता उसका पतिव्रत धर्म है। कुरूप का सौंदर्य विद्या है और तपस्वी की सुंदरता क्षमा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति   द्वितीय अध्याय  श्लोक:-१० पुत्राश्च विविधैः शीलैर्नियोज्याः सततं बुधैः। नीतिज्ञाः शीलसम्पन्ना भवन्ति कुलपूजिताः।।१०।।  भावार्थ — बुद्धिमान इंसान को अपनी संतान को अच्छे कामों की और लगाना चाहिए, क्योंकि श्रद्धालु

महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नमहाराजा विक्रमादित्य के नवरत्न

महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है ! जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके कुछ

CHANKAYA NITICHANKAYA NITI

 चाणक्य नीति    तृतीय अध्याय  श्लोक : १४  एकेनाअ्पि सुवृक्षेण पचष्पितेन सुगन्धिना। वासितं तद्वनं सर्वं सुपुत्रेण कुलं तथा।।१४।। भावार्थ – पुष्पों से लदे और उत्तम सुगन्ध से युक्त एक ही पेड़