चाणक्य नीति
तृतीय अध्याय
श्लोक:-१२
अतिरूपेण वै सीता अतिगर्वेण रावणः।
अतिदानात् वालिबद्धो अति सर्वत्र वर्जयेत्।।१२।।
भावार्थ – अधिक सुन्दरता ही माँ सीता के अपहरण का कारण हुआ, अधिक गर्व से ही दशानन (रावण) मारा गया, अधिक दान के कारण राजा बलि बन्धन को प्राप्त हुए। इसलिए “अति” का त्याग कर देना चाहिए।