IUNNATI CHANAKYA NITI चाणक्य नीति 

चाणक्य नीति 

चाणक्य नीति ⚔️ 

✒️ द्वितीय अध्याय 

♦️श्लोक :- ९

शैले-शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे-गजे। 

साधवे न हि सर्वत्र चन्दनं न वने-वने।।९।। 

♦️भावार्थ — हर पहाड़ पर माणिक नहीं मिलते। प्रत्येक हाथी के सर पर मोती नहीं होते। सज्जन लोग सब जगह नहीं होते और सभी वनों में चंदन नहीं होता।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय  श्लोक : २१ मूर्ख यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्।  दम्पत्येः कलहो नाअ्स्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ।।२१।।  भावार्थ – जिस जगह मूर्ख पूजित नहीं होते और

 चाणक्य नीति चाणक्य नीति

 चाणक्य नीति   द्वितीय अध्याय  श्लोक :- ११  माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।  न शोभते सभामध्ये बको यथा ।।११।।  भावार्थ — ऐसे माँ-बाप अपनी संतान के दुश्मन है

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

तृतीय अध्याय श्लोक:-४ दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः। सर्पो दंशति कालेन दुर्जनस्तु पदे पदे।।४।। भावार्थ– दुष्ट और सांँप की तुलना की जाए तो दोनों में सांँप बेहतर है।