IUNNATI CHANAKYA NITI चाणक्य नीति

चाणक्य नीति

चाणक्य नीति ⚔️

✒️ द्वितीय अध्याय

♦️श्लोक : २

भोज्य भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर्वराङ्गना।

विभवो दानशक्तिश्च नाअ्ल्पस्य तपसः फलम्।।२।।

♦️भावार्थ — खाने-पीने की चीजों का सुलभ होना, खाने-पीने की क्षमता होना, भोग-विलास की ताकत होना, आत्मतृप्ति के लिए सुंदर स्त्री का मिलना, धन-संपत्ति का होना और उसके उपभोग के साथ ही दान की प्रवृत्ति होना। ये बातें पूर्व-जन्म के संयोग की वजह से ही होती है या मनुष्य के तप से ही ऐसा फल मिलता है।

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