IUNNATI CHANAKYA NITI CHANAKYA NITI

CHANAKYA NITI

चाणक्य नीति

 तृतीय अध्याय

श्लोक:-३

सुकुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजयेत्।

व्यसने योजयेच्छत्रु मित्रं धर्मे नियोजयेत्।।३।।

भावार्थ– कन्या या बेटी को अच्छे कुल में देना चाहिए और पुत्र को विद्या में लगाना चाहिए। दुश्मन को बुरी आदतों में फँसाना चाहिए और दोस्त को धर्म में नियुक्त करना चाहिए।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

 चाणक्य नीति चाणक्य नीति

 चाणक्य नीति   द्वितीय अध्याय  श्लोक :- ११  माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।  न शोभते सभामध्ये बको यथा ।।११।।  भावार्थ — ऐसे माँ-बाप अपनी संतान के दुश्मन है

महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नमहाराजा विक्रमादित्य के नवरत्न

महाराजा विक्रमादित्य के नवरत्नों की कोई चर्चा पाठ्यपुस्तकों में नहीं है ! जबकि सत्य यह है कि अकबर को महान सिद्ध करने के लिए महाराजा विक्रमादित्य की नकल करके कुछ

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय  श्लोक : २१ मूर्ख यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्।  दम्पत्येः कलहो नाअ्स्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ।।२१।।  भावार्थ – जिस जगह मूर्ख पूजित नहीं होते और