चाणक्य नीति
द्वितिय अध्याय
श्लोक:-३
यस्य पचत्रो वशीभूतो भार्या छन्दाअ्नुगामिनी।
विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।।३।।
भावार्थ — जिसका बेटा आज्ञाकारी हो तथा पत्नी पति के अनुकूल आचरण करने वाली हो, पतिव्रता हो एवं जो प्राप्त धन से ही संतुष्ट हो, ऐसे व्यक्ति के लिए स्वर्ग यही है, यह जानना चाहिए।