IUNNATI CHANAKYA NITI चाणक्य नीति

चाणक्य नीति

 चाणक्य नीति⚔️

✒️ द्वितीय अध्याय 

♦️श्लोक : १

अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलुब्धता।*

अशीचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः।।१।।

♦️भावार्थ – स्त्रियाँ स्वभाव से असत्य बोलने वाली, बहुत बहादुर, छली, कपटी, धोखेबाज, अत्यंत लोभी, अपवित्र और दया माया से रहित होती है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

CHANAKYA NITI SHLOKCHANAKYA NITI SHLOK

चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय श्लोक : १३ को हि भारः समर्थानां किं दूरं व्यवसायिनाम्। को विदेशाः सविद्यानां कः परः प्रियवादिनाम्।।१३।। भावार्थ – समर्थ व्यक्ति के लिए कौन-सा कार्य मुश्किल है?

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय  श्लोक : १६  एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन विह्निना। दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यधा।।१६।। भावार्थ – जंगल में आग लगने पर जैसे वहाँ का एक ही सूखा

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

चाणक्य नीति   द्वितिय अध्याय  श्लोक:-३ यस्य पचत्रो वशीभूतो भार्या छन्दाअ्नुगामिनी। विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।।३।। भावार्थ — जिसका बेटा आज्ञाकारी हो तथा पत्नी पति के अनुकूल आचरण करने वाली