IUNNATI CHANAKYA NITI चाणक्य नीति

चाणक्य नीति

 चाणक्य नीति⚔️

✒️ द्वितीय अध्याय 

♦️श्लोक : १

अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलुब्धता।*

अशीचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः।।१।।

♦️भावार्थ – स्त्रियाँ स्वभाव से असत्य बोलने वाली, बहुत बहादुर, छली, कपटी, धोखेबाज, अत्यंत लोभी, अपवित्र और दया माया से रहित होती है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

 चाणक्य नीति चाणक्य नीति

 चाणक्य नीति   द्वितीय अध्याय  श्लोक :- ११  माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः।  न शोभते सभामध्ये बको यथा ।।११।।  भावार्थ — ऐसे माँ-बाप अपनी संतान के दुश्मन है

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

चाणक्य नीति   द्वितीय अध्याय श्लोक:-१८ गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम्। प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धाअ्रण्यं मृगास्तथा।।१८।। भावार्थ– पुरोहित दक्षिणा लेकर यजमान को छोड़ देते हैं, शिष्य विद्या प्राप्ति के बाद गुरु-दक्षिणा देकर

चाणक्य नीति – श्लोक व भावार्थचाणक्य नीति – श्लोक व भावार्थ

चाणक्य नीति    द्वितीय अध्याय  श्लोक :- १३  श्लोकेन वा तदर्धेन पादेनैकाक्षरेण वा।  अबन्ध्यं दिवसं कुर्याद् दानाध्ययन कर्मभिः।।१३।।  भावार्थ — एक श्लोक का अध्ययन, चिंतन, मनन से या आधे श्लोक द्वारा