IUNNATI CHANAKYA NITI CHANAKYA NITI

CHANAKYA NITI

चाणक्य नीति ⚔️

✒️ तृतीय अध्याय 

श्लोक : २१

मूर्ख यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्। 

दम्पत्येः कलहो नाअ्स्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ।।२१।। 

♦️भावार्थ – जिस जगह मूर्ख पूजित नहीं होते और जहाँ अन्न आदि बहुत ज़्यादा मात्रा में एकत्र रहते है और जहाँ पति-पत्नि में लड़ाई-झगड़ा, वाद-विवाद नहीं होता-वहाँ लक्ष्मी ख़ुद आकर रहती है।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

CHANAKYA NITI SHLOKCHANAKYA NITI SHLOK

चाणक्य नीति  तृतीय अध्याय  श्लोक : १९  उपसर्गेअ्न्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे। असाधुजनसम्पर्के यः पलायति सः जीवति ।।१९।। भावार्थ – आग लगने, बाढ़ आने, सूखा पड़ने, उल्कापात, अकाल, आतताइयों द्वारा

CHANAKYA NITI IN HINDICHANAKYA NITI IN HINDI

 चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय श्लोक : ९  कोकिलानां स्वरो रूपं स्त्रीणां रूपं पतिव्रतम्।विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम्।।९।। भावार्थ-– कोयल की सुंदरता उसकी वाणी है, स्त्री की सुंदरता उसका पतिव्रत

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय  श्लोक : १६  एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन विह्निना। दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यधा।।१६।। भावार्थ – जंगल में आग लगने पर जैसे वहाँ का एक ही सूखा