चाणक्य नीति
तृतीय अध्याय
श्लोक : १७
किं जातैर्बहुभिः पुत्रैः शोकसन्तापकारकैः।
वरमेकः कुलाअ्अ्लम्बी यत्र विश्राम्यते कुलम्।।१७।।
भावार्थ – अपने बुरे आचरण से शोक और संताप उत्पन्न करने वाली बहुत-सी संतानों से, कुल को ऊँचा उठाने वाली और कुल के अन्य सदस्यों को आनन्द पहुँचाने वाली एक ही संतान अच्छी है