हिंदू पंचांग
30 दिसम्बर 2023
आज की हिंदी तिथि युगाब्द-५१२५
विक्रम संवत-२०८०
तिथि – तृतीया सुबह 09:43 तक तत्पश्चात चतुर्थी
दिनांक – 30 दिसम्बर 2023
दिन – शनिवार
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
नक्षत्र – अश्लेषा 31 दिसम्बर प्रातः 05:42 तक
योग – विष्कम्भ 31 दिसम्बर प्रातः 02:56 तक तत्पश्चात प्रीति
राहु काल – सुबह 10:01 से 11:22 तक
सूर्योदय – 07:20
सूर्यास्त – 06:04
दिशा शूल – पूर्व
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:34 से 06:27 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 से 01:09 तक
व्रत पर्व विवरण – संकष्ट चतुर्थी, श्री रमण महर्षि जयंती (दि.अ.)
विशेष – तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
संकष्ट चतुर्थी – 30 दिसम्बर 20(चन्द्रोदय : रात्रि 09-06)
क्या है संकष्ट चतुर्थी ?
संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।
संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि
गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।m इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।
व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।
स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।
सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।
पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।
ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।
गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।
संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।
गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें । शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें । पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।
शनिवार के दिन विशेष प्रयोग
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण) हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण) आर्थिक कष्ट निवारण हेतु एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।