शिव पुराण
छठवां अध्याय - श्री रुद्र संहिता( पंचम खण्ड) ( शिव )
विषय त्रिपुर सहित उनके स्वामियों के वध की प्रार्थना
तत्पश्चात देवता बोले- हे देवाधिदेव! हे करुणानिधान! आप सभी जीवों के आत्मस्वरूप, कल्याण करने वाले और अपने भक्तों की पीड़ा हरने वाले हैं। गले में नीला चिन्ह होने के कारण आप नीलकंठ कहलाते हैं। हम हाथ जोड़कर आपको प्रणाम करते हैं।
आप सब प्राणियों एवं देवताओं के लिए वंदनीय हैं। तथा सबकी बाधाओं और विपत्तियों को दूर करते हैं। भगवन्! आप ही रजोगुण, सतोगुण और तमोगुण के आश्रय से ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार धरकर जगत की सृष्टि, पालन और संहार करते हैं।
आप ही अपने भक्तों को इस भवसागर से पार कराने वाले हैं। वेद आपके परब्रह्म स्वरूप और तत्वरूप का वर्णन करते हैं। आप सर्वव्यापी, सर्वात्मा और इन तीनों लोकों के अधिपति हैं। आप सूर्य से भी अधिक तेजस्वी और दीप्तिमान हैं।
हम आपको नमस्कार करते हैं। आप ही इस प्रकृति के प्रवर्तक हैं तथा सब प्राणियों के शरीर में रहते हैं। ऐसे परमेश्वर को हम प्रणाम करते हैं।
हे शिव शंभो। तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली नामक त्रिपुर स्वामियों ने हम देवताओं को अनेकों प्रकार से परेशान कर प्रताड़ित किया है। वे देवताओं का विनाश करने के लिए उन्मुख हैं।