बाबा केशरिया मंदिर के बारे में बारे में संपूर्ण जानकारी, इतिहास और पौराणिक कथा
बाबा केशरिया मंदिर
बाबा केशरिया मंदिर हरियाणा के महेंद्रगढ़ ज़िले में मंडोला गाँव में स्थित है।यह बाबा केशरिया मंदिर अपनी मान्यता के लिए प्रसिद्ध है। केशरिया मंदिर में स्दैव भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
बाबा केशरिया मंदिर में भाद्रपद मास में गोगानवमी का मेला लगता है उस समय यहाँ भक्तों की भीड़ देखने से ही बनती है। लाखों की संख्या में लोग दर्शन के लिए राजस्थान व हरियाणा से आते है।
इतिहास
गाँव के ग्रामीणों का कहना है कि गाँव में एक पुराना जोहड़ था। जोहड़ की तरफ़ पर्वत है जिससे बारिश का पानी पर्वत से होकर सीधा तालाब में जाता है जिससे तालाब भर जाता है और भक्तजन यहाँ स्नान करते है।
लगभग 200 वर्ष पहले गाँव का एक युवक गोगमेड़ी गया था वहाँ से वापस आते समय एक पेड़ की टहनी लेकर आया था और उसने वह टहनी यहाँ उगाई।
कुछ वर्षों बाद टहनी ने पेड़ का रूप ले लिया और सनातन धर्म में पेड़ के प्रति लोगो में स्दैव से अपार श्रद्धा रही है। बताया जाता है कि पेड़ के नीचे एक विशाल और चमत्कारी नागराज को देखा गया था और नाग तो हमारे महादेव जी के गले का आभूषण है इसीलिए गाँव के लोगो ने यहाँ पूजा अर्चना शुरू की।
बाबा केशरिया मंदिर में नाग की मूर्ति स्थापित की गई है और लोग यहाँ आशीर्वाद लेने आते है। विज्ञान से पहले ही सनातन धर्म के लोग प्रकर्ति के प्रति गहरी आस्था रखते थे और लोगो ने यहाँ भी उस पेड़ की पूजा अर्चना करनी शुरू करदी।
समय के साथ लोगो की आस्था बढ़ती गई और गाँव ने यह देखते हुए पेड़ के चारों ओर चबूतरे का निर्माण करवाया और वर्ष 1975 में गाव ने लोगो ने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया।
लोगो की मनोकामनाएँ पूर्ण होती गई और समय के साथ-साथ मंदिर को विशाल बनाया अब मंदिर भव्य रूप ले चुका है। बाबा केशरिया मंदिर के रखरखाव के लिए लोगो ने एक कमेटी का गठन किया जो मंदिर की देख रेख करती है।
एकता
मंदिर के प्रति गाँव के लोगो में अपार श्रद्धा है और मंदिर के कामों में सभी साध मिलकर कार्य करते है, जी गाँव की एकता को दिखाता है।
मेले का आयोजन
गोगानवमी से पूर्व भाद्रपद में षष्टि सप्तमी की मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में खेद कूद का भी आयोजन होता है, जिसमें जीतने वाले को उचित इनाम दिया जाता है और गाँव के युवाओं की रुचि खेलकूद में बढ़ती है। हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली से लोग भारी संख्या में मंदिर में दर्शन करने आते है ।
महाशिवरात्रि के दिन मंदिर में कावड़ चढ़ाई जाती है और विशाल कार्यक्रम किया जाता है।
शिव की महीमा
बाबा केसरिया मंदिर में मान्यता है कि साँप के काटे हुए व्यक्ति को अगर यहाँ लिटा दिया जाता है तो उसका विष उतर जाता है लेकिन इसके साथ साथ इलाज भी ज़रूरी है।
भक्ति में शक्ति है लेकिन शक्ति तभी काम आती है तब आप पूर्ण रूप से प्रक्रिया करते है।
बाबा केशरिया मंदिर में शिव जी की मूर्ति भी स्थापित की गई है। महेंद्रगढ़ ज़िले में अनेक गाँव साँप गोत्र के है जो साँपों की पूजा अर्चना करते है।
प्रवेश द्वार
बाबा केशरिया मंदिर का प्रवेश द्वार काफ़ी भव्य है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर श्री कृष्ण जी की मूर्ति गाय माता के साथ विराजमान है।
रामसेतु पत्थर
बाबा केशरिया मंदिर में रामसेतु पत्थर भी रखा गया है जो पानी में तैरता हुआ है।
मंदिर में भंडारे के लिए विशाल प्रांगण है। जहां हर वर्ष भंडारे का आयोजन किया जाता है। मंदिर के एकतरफ़ विशाल खेक मैदान भी है, जहां युवा खेलते है।
बाबा केशरिया मंदिर के एक तरफ़ आपको अनेकों घड़ियाँ दिखाई देंगी जो भक्तों ने मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर परिसर में लगवाई है।
पहुँचने का मार्ग
रेलवे मार्ग
महेंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन से आप ऑटो करके महेंद्रगढ़ बस स्टैंड पहुँच सकते है। बस स्टैंड से गाँव मंडोला स्थित मंदिर मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वहाँ आप आसानी से पहुँच सकते है।
बस मार्ग
आप महेंद्रगढ़ बस स्टैंड से मंदिर तक आसानी से पहुँच सकते है। बस स्टैंड से दूरी मात्र 10 किलोमीटर है।
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