समय हाथ से निकल गया तो
सिर धुन धुन पछतायेगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पायेगा
राम नाम के साबुन से जो
मन का मेल छुडायेगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पायेगा
झूठ कपट निंदा को त्यागो
हर प्राणी से प्यार करो
घर पर आये अतिथि तो
यथा शक्ति सत्कार करो
पता नहीं किस रूप में आकर
नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पायेगा
राम नाम के साबुन से जो
मन का मेल छुडायेगा
निर्मल मन के दर्पण में वह
राम के दर्शन पायेगा
पता नहीं किस रूप में आकर “नारायण ” मिल जाएगा ||
narayan narayan