अम्बाजी ज्योतिर्लिंग
अम्बाजी ज्योतिर्लिंग मंदिर की वास्तुकला
पौराणिक कथा
यह कथा माँ सती और उनके पति भगवान शिव के बीच के एक घटना से जुड़ी है। एक बार माँ सती की पुण्यजन्मिनी बनारस में एक अग्नियज्वाला के रूप में प्रकट हुईं।
उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के आयोजित यज्ञ में अपने पति को जाने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन उन्हें यज्ञ स्थल पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। इस पर माँ सती ने अपनी आत्मा को जल चढ़ाने का कार्य किया और अपने शरीर को भस्म कर दिया।
भगवान शिव ने जब इसके बारे में जाना, तो वे बहुत दुःखी हो गए और उन्होंने माँ सती के शरीर को अपने कंधों पर ले लिया। और पूरे ब्रह्मांड का भ्रमण करने लगे इसे देख
भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिये और जहां जहां माता के शरीर के अंग गिरे वहीं एक शक्तिपीठ स्थापित हो गया और यहाँ माता का हृदय गिरा और ज्योतिर्लिंग बना।
पहुँचने का मार्ग
रेलवे स्टेशन
अंबाजी ज्योतिर्लिंग आप आबू रोड रेलवे स्टेशन से आसानी से पहुँच सकते है। आबू रोड रेलवे स्टेशन से अम्बाजी ज्योतिर्लिंग मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
आबू रोड से आपको अंबाजी अम्बाजी ज्योतिर्लिंग के लिए आसानी से बस सेवा उपलब्ध हो जाती है।
Ambaji Jyotirlinga
Architecture of the Ambaji Jyotirlinga temple
Mythological story
This story is related to an incident between Mother Sati and her husband Lord Shiva. Once the virtuous mother of Mother Sati appeared in Banaras in the form of a fire flame.
She expressed her desire to go to her husband in the yagya organized by her father King Daksha, but she was not allowed to enter the yagya site. On this, Mother Sati offered water to her soul and burnt her body.
When Lord Shiva came to know about this, he became very sad and he took the body of Mother Sati on his shoulders. And started roaming the whole universe.
Seeing this, Lord Vishnu cut the body of Mata Sati into pieces with his Sudarshan and wherever the body parts of Mata fell, a Shakti Peeth was established there and the heart of Mata fell here and a Ambaji Jyotirlinga was formed.