IUNNATI JYOTIRLINGA अम्बाजी ज्योतिर्लिंग विशेषता  पौराणिक कथा व पहुँचने का मार्ग 

अम्बाजी ज्योतिर्लिंग विशेषता  पौराणिक कथा व पहुँचने का मार्ग 

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अम्बाजी ज्योतिर्लिंग

यदि आपको भारत के प्रमुख शक्तिपीठों के दर्शन करने हैं, तो गुजरात के अरासुरी अम्बाजी ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बिना आपकी यात्रा अधूरी है। यहाँ माता का ह्रदय गिरा और अम्बाजी ज्योतिर्लिंग स्थापित हुआ। 
 
यह प्राचीन अम्बाजी ज्योतिर्लिंग  इसलिए भी अनोखा है, क्योंकि यहां गर्भगृह में मां की प्रतिमा नहीं, बल्कि उनका श्रीयंत्र स्थापित है। यह सुसज्जित श्रीयंत्र इस तरह से सजाया गया है कि देखने से मां का स्वरूप नज़र आए। यह मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित है। इस मंदिर का वर्णन तंत्र चूड़ामणि में भी है।
 
श्री कृष्ण और भगवान राम से किस किस प्रकार जुड़ा है यह ज्योतिर्लिंग 
 
बाल्यावस्था में भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार यहीं पर संपन्न हुआ था।
 मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भी शक्ति की उपासना के लिए यहाँ आ चुके हैं। 

अम्बाजी ज्योतिर्लिंग मंदिर की वास्तुकला

लगभग बारह सौ वर्ष पुराने इस अम्बाजी ज्योतिर्लिंग  का शिखर 103 फ़ीट ऊंचा है और इस पर 358 स्वर्ण कलश स्थापित हैं। सफेद संगमरमर से बने इस अम्बाजी ज्योतिर्लिंग का लगभग 45 वर्षों से जीर्णोद्धार कार्य चल रहा है, जो आज भी जारी है। मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर गब्बर पहाड़ है।
 
यह पहाड़ विशेष श्रद्धा का केन्द्र है, क्योंकि यह माना जाता है कि यहां माता का मूल मंदिर स्थापित है। लोकमत के अनुसार यहां एक पत्थर पर मां के पदचिन्ह हैं। साथ ही यहां रथचिन्ह भी देखे जा सकते हैं। आस्था के अनुसार गब्बर पर्वत पर जाए बिना मां के दर्शन अधूरे हैं।

पौराणिक कथा

यह कथा माँ सती और उनके पति भगवान शिव के बीच के एक घटना से जुड़ी है। एक बार माँ सती की पुण्यजन्मिनी बनारस में एक अग्नियज्वाला के रूप में प्रकट हुईं।

उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के आयोजित यज्ञ में अपने पति को जाने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन उन्हें यज्ञ स्थल पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। इस पर माँ सती ने अपनी आत्मा को जल चढ़ाने का कार्य किया और अपने शरीर को भस्म कर दिया।

भगवान शिव ने जब इसके बारे में जाना, तो वे बहुत दुःखी हो गए और उन्होंने माँ सती के शरीर को अपने कंधों पर ले लिया। और पूरे ब्रह्मांड का भ्रमण करने लगे इसे देख

भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिये और जहां जहां माता के शरीर के अंग गिरे वहीं एक शक्तिपीठ स्थापित हो गया और यहाँ माता का हृदय गिरा और ज्योतिर्लिंग बना।

पहुँचने का मार्ग

रेलवे स्टेशन

अंबाजी ज्योतिर्लिंग आप आबू रोड रेलवे स्टेशन से आसानी से पहुँच सकते है। आबू रोड रेलवे स्टेशन से अम्बाजी ज्योतिर्लिंग मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

आबू रोड से आपको अंबाजी अम्बाजी ज्योतिर्लिंग के लिए आसानी से बस सेवा उपलब्ध हो जाती है।  

Ambaji Jyotirlinga
If you want to visit the major Shakti Peethas of India, then your journey is incomplete without visiting Arasuri Ambaji Jyotirlinga in Gujarat. Here the heart of the mother fell and the Ambaji Jyotirlinga was established.
 
This ancient Ambaji Jyotirlinga is also unique because here the idol of the mother is not installed in the sanctum sanctorum, but her Shriyantra is installed.
 
This decorated Shriyantra is decorated in such a way that the form of the mother is visible. This temple is located on the Gujarat-Rajasthan border. This temple is also described in Tantra Chudamani. 
 
 How is this Ambaji Jyotirlinga connected to Shri Krishna and Lord Rama 
 
 Lord Krishna’s Mundan Sanskar was performed here in childhood. 
 Maryada Purushottam Shri Ram has also come here to worship Shakti. 
Architecture of the Ambaji Jyotirlinga ​ temple
 The peak of this Ambaji Jyotirlinga , which is about twelve hundred years old, is 103 feet high and 358 golden urns are installed on it. The renovation work of this Ambaji Jyotirlinga  made of white marble has been going on for about 45 years, and is still going on.
 
Gabbar Mountain is about three kilometres away from the temple. This mountain is the centre of special devotion because it is believed that the original temple of the Mother is established here.
 
According to public opinion, there are footprints of the mother on a stone here. Also, chariot marks can be seen here. According to faith, the darshan of the mother is incomplete without going to Gabbar mountain.  

Mythological story

 This story is related to an incident between Mother Sati and her husband Lord Shiva. Once the virtuous mother of Mother Sati appeared in Banaras in the form of a fire flame.

She expressed her desire to go to her husband in the yagya organized by her father King Daksha, but she was not allowed to enter the yagya site. On this, Mother Sati offered water to her soul and burnt her body.

When Lord Shiva came to know about this, he became very sad and he took the body of Mother Sati on his shoulders. And started roaming the whole universe.

Seeing this, Lord Vishnu cut the body of Mata Sati into pieces with his Sudarshan and wherever the body parts of Mata fell, a Shakti Peeth was established there and the heart of Mata fell here and a Ambaji Jyotirlinga  was formed.

Route to reach

Railway station You can easily reach Ambaji Jyotirlinga from Abu Road Railway Station.
 
The Ambaji Jyotirlinga is located at a distance of just 20 kilometres from Abu Road Railway Station.  
 
From Abu Road, you easily get a bus service to Ambaji Jyotirlinga.

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