IUNNATI ADHYATMIK UNNATI भारत का वह मंदिर जहां पैसे चढ़ाना सख़्त मना है –

भारत का वह मंदिर जहां पैसे चढ़ाना सख़्त मना है –

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रामेश्वरदास मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी

रामेशर दास मंदिर हरियाणा के महेंद्रगढ़  ज़िले में नारनौल शहर से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर बामनवास गाँव स्थित है ।
यह गाँव हरियाणा राजस्थान सीमा पर है।यह मंदिर  हरियाणा राजस्थान की सीमा पर दोहन नदी के पूर्वी छोर पर स्थिर है।
 
रामेश्वरदास मंदिर की एक दीवार राजस्थान के टीबा बसाई गाँव से लगती है ।यह मंदिर काफ़ी प्राचीन और महत्वपूर्ण है।यहाँ श्री श्री 1008 रामेश्वर जी महाराज ने तपस्या की थी।यह मंदिर मुख्यत: भगवान शिव को समर्पित है।

यहाँ भक्तगण हरियाणा ,राजस्थान , दिल्ली , उत्तरप्रदेश ,बिहार,पश्चिम बंगाल,मध्यप्रदेश,आन्ध्रप्रदेश व ओड़िशा से आते है। 
 
रामेश्वरदास मंदिर में श्री श्री 1008 बाबा रामेश्वर ने तपस्या की थी। रामेश्वर जी के बर्ह्मलीन हो जाने के बाद भी लोग दूर दूर से यहाँ भक्ति भावना से आते रहे।

रामेश्वरदास जी का जन्म सिरोही बहाली गाँव में हुआ था।ये विद्या प्राप्ति के लिये नरनौल स्थित ढोसी की पहाड़ी पर श्री श्री 1008 श्रीनन्द ब्रह्मचारी जी द्वारा संचालित संस्कृत पाठशाला में ज्ञान की प्राप्ति की।
बचपन में ही बाबा रामेश्वर दास जी को वैराग्य हो जाने के कारण सन्त शिरोमणी श्री श्रीनन्द ब्रह्मचारी जी महाराज से दीक्षा लेकर इन्होंने सन्यास ग्रहण कर लिया और उसके पश्चात ये ग्राम कारोली तहसील नारनौल ज़िला महेंद्रगढ़ के मंदिर में पूजा अर्चना करने लग गए।

कारोली के स्मिप बिगोपुर गाँव की सीमा में निर्जन क्षेत्र में तपस्या करने लगे।
 
कुछ ही दिनों में वहां एक भव्य आश्रम का निर्माण करवाया, जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग इनके दर्शन को आने लगे। एक दिन बाबा जी अचानक आश्रम से अर्न्तध्यान हो गए और कई वर्षों तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिली

,कुछ दिनों पश्चात बाबा जी रामेश्वर धाम में तपस्या करते हुए दिखाई दिये और बाद में  क्षेत्र के हजारों लोग प्रतिदिन उनके दर्शन को आने लगे और श्रद्धालुओं ने यहाँ एक चबूतरे का निर्माण करवाया।
 

रामेश्वरदास मंदिर परिसर का निर्माण

रामेश्वरदास मंदिर परिसर का निर्माण वर्ष 1963 से शुरू हुआ। बाबा जी की तरफ से चढ़ावे में रूपिये,पैसे  चढ़ाने की सख्त मनाही थी। मगर फिर भी यहां प्रसाद के रूप में भक्तगण रोज़ाना बाहर से आने वाले लोगो के लिये प्रसाद वितरित करते थे।

बर्ह्मलीन होने से पहले ही बाबा जी ने मंदिर के ट्रस्ट का निर्माण करवा दिया था और अब मंदिर की देखरेख यह ट्रस्ट करता है। रामनवमी को इस धाम पर एक भव्य मेला लगता है।

रामेश्वरदास मंदिर की सबसे मुख्य और आकर्षक बात यह है कि यहाँ एक यमराज जी के दरबार के नाम से एक कक्ष है जहां की दिवारो पर ये अंकित किया हुआ है कि आपके कर्मों के हिसाब से आपको आगे क्या दंड दिया जाएगा।

 दीवारों पर जैसी करनी वैसी भरनी नाम से एक लाइन लिखी गई है और उसके नीचे चित्रों से समझाया गया है कि एक मनुष्य को जीवन में कैसे सदाचार का पालन करना चाहिए।
 
रामेश्वरदास मंदिर की दीवारों पर दर्शाया गया है कि कैसे ग़लत काम करने पर आपको यमराज के दरबार में किस प्रकार दंड दिया जाएगा।

पुण्य करने के फल व पाप के लिए दंड दर्शाया गया है। अद्भुत चित्रकारी का प्रदर्शन किया गया है जो देखने से ही बनता है। 
 
मेले का आयोजन 
रामनवमी के दिन यहाँ एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता हैं।
 
रामेश्वरदास मंदिर में काफ़ी भव्य मूर्तियाँ है। नंदी जी की 25 फुट लंबी, 15 फुट ऊँची व 20 फुट चौड़ी भव्य प्रतिमा स्थापित है।
 
10 फुट ऊँचा शिवलिंग है जहां भक्तजन पानी चढ़ाते है ।मंदिर के मुख्य द्वार पर 40 फुट ऊँची हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है।
 
रामेश्वरदास मंदिर परिसर में श्री गणेश जी की भी बहुत बड़ी प्रतिमा के साथ साथ गजानन की भी बहुत विशालकाय प्रतिमा है।
रामेश्वरदास मंदिर परिसर में एक कक्ष में संपूर्ण भगवतगीता दीवारों पर अंकित करवाई गई है।
 
एक हाल में भगवान जी की मूर्तियों कि साथ संपूर्ण रामायण में दर्शाए गए चित्रों को लगाया गया है।
 
रामेश्वरदास मंदिर परिसर के कई और कक्षों में हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओ को अंकित किया गया है इनकी शोभा देखने से ही बनती है।
 
भगवान शिव के अवतारों को दीवार पर दर्शाया गया है।
 
ऐसा माना जाता है कि मंदिर से निकलते वक्त हनुमान जी की मूर्ति की परिक्रमा करना ज़रूरी है जिससे आपके जीवन की बाँधाए दूर होंगी। 
 
 

रामेश्वरदास मंदिर पहुँचने का मार्ग

नारनौल बस स्टैंड से आपको बस सुविधा भी मिल जाती है मंदिर के लिए ।
 
सुविधाजनक सफ़र के लिए आप गूगल नेविगेशन का प्रयोग कर सकते और स्थानीय लोगो से भी पता करके आप आसानी से रामेश्वरदास मंदिर पहुँच सकते है। 
 

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