IUNNATI ADHYATMIK UNNATI माता सती के महामाया शक्तिपीठ की संपूर्ण जानकारी पौराणिक कथा

माता सती के महामाया शक्तिपीठ की संपूर्ण जानकारी पौराणिक कथा

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महामाया शक्तिपीठ

माता शती के शक्तिपीठों की इस श्रृंखला में आज जानते है महामाया शक्तिपीठ के बारे में –

माता सती के महामाया शक्तिपीठ की संपूर्ण जानकारी पौराणिक कथा, महत्व, इतिहास 

महामाया शक्तिपीठ​ का उदय कैसे हुआ -

जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया।
 
बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गये।
 
महामाया शक्तिपीठ की जगह माता का कंठ गिरा था। यह शक्तिपीठ अमरनाथ गुफा में जहां भगवान शिव का हिमलिंग बनता है उसी स्थान पर हिमनिर्मित एक पवित्र पार्वतीपीठ भी बनता है। यहीं पार्वतीपीठ महामाया शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। इनकी शक्ति को महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते है ।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने माता पार्वती को यहीं पे अमरत्व का पाठ पढ़ाया था। 
 

महामाया शक्तिपीठ का महत्व भारतीय साहित्य, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में बहुत महत्वपूर्ण है। यह एक प्रमुख शक्तिपीठ है जो भगवानी महाकाली को समर्पित है। कश्मीर में स्थित होने के कारण, इसे कश्मीरी पंडितों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जो इसे पूजनीय मानते हैं और इसका समर्थन करते हैं।

महामाया शक्तिपीठ पर अनेक पुराणिक कथाएं जुड़ी हैं, जो इसके महत्व को और बढ़ाती हैं। यहां भगवती महाकाली का प्रतिमान स्थापित है, जो कि शक्ति और प्रेरणा का प्रतीक है। यहां निरंतर भक्तों की आस्था और श्रद्धा का अभिव्यक्ति होता है।

इसके अतिरिक्त, महामाया शक्तिपीठ का पर्यटन संबंधी महत्व भी है, क्योंकि यह अनेक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक विरासत का अनुभव करना चाहते हैं। इसके अलावा, इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण,

यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और परंपरागत स्थल है जो लोगों को आत्मानुवाद और ध्यान के लिए प्रेरित करता है।

पहुँचने का मार्ग

वायुमार्ग-

कश्मीर की निकटतम वायुयान उड़ान भवन श्रीनगर एयरपोर्ट है। यहां से आपको टैक्सी या बस का इस्तेमाल करना होगा ताकि आप महामाया शक्तिपीठ तक पहुँच सकें।

रेलमार्ग -

निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू रेलवे स्टेशन है। यहां से आप बस या टैक्सी का इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि आप महामाया शक्तिपीठ तक पहुँच सकें।

सड़कमार्ग -

कश्मीर में सड़क परिवहन की सुविधा है। आप अपनी गाड़ी या बाइक का इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि आप महामाया शक्तिपीठ और अमरनाथ गुफा तक पहुँच सकें।

Mahamaya Shakti Peeth

In this series of Shakti Peeths of Mata Sati, today we know about Mahamaya Shakti Peeth – Complete information about Mahamaya Shakti Peeth of Mata Sati, mythology, importance, history How did Shakti Peeths emerge 

– When Sati, wife of Mahadev Shiv Ji, could not tolerate the insult of her husband in the Yagya of her father King Daksha,

she jumped into the same Yagya and was burnt to ashes. When Shiv Ji came to know about this, he sent his Gan Veerbhadra to destroy the Yagya site and cut off the head of King Daksha. Later, Shiv Ji roamed everywhere with the burnt corpse of his wife Sati, in mourning. 

Wherever the body parts and ornaments of the mother fell, Shakti Peeths were formed there. The throat of the mother had fallen at the place of Mahamaya Shakti Peeth. This Shakti Peeth is in the Amarnath cave,

 where the ice lingam of Lord Shiva is formed, at the same place a sacred Parvati Peeth is also formed, made of ice. This Parvati Peeth is known as Mahamaya Shakti Peeth. 

Their Shakti is called Mahamaya and Bhairav is called Trisandhyaeshwar. Mythology According to the legend, Lord Shiva taught the lesson of immortality to Goddess Parvati here. The significance of Mahamaya Shaktipeeth is very important in Indian literature and religious and cultural tradition. It is a major Shaktipeeth dedicated to Goddess Mahakali. Being located in Kashmir, 

it is considered important for Kashmiri Pandits, who consider it revered and support it. Many Puranic stories are associated with Mahamaya Shaktipeeth, which further increases its importance. The idol of Goddess Mahakali is established here, which is a symbol of power and inspiration. 

The faith and devotion of devotees are constantly expressed here. Apart from this, Mahamaya Shaktipeeth also has tourism importance, as it remains a centre of attraction for many tourists who want to experience Indian culture and religious heritage. Apart from this, 

due to its religious and cultural significance, it is an important religious and traditional place that inspires people to self-interpretation and meditation.

How to reach

Airway-

The nearest airport to Kashmir is Srinagar Airport. From here you have to use taxi or bus to reach Mahamaya Shaktipeeth. 

Railway

The nearest railway station is Jammu Railway Station. From here you can use bus or taxi to reach Mahamaya Shaktipeeth. 
Roadway
There is road transport facility in Kashmir. You can use your car or bike to reach Mahamaya Shaktipeeth and Amarnath cave.
 

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