IUNNATI SHIV PURAN भगवान शिव और शंकर में क्या भेद है?

भगवान शिव और शंकर में क्या भेद है?

भगवान शिव और शंकर में क्या भेद है? post thumbnail image

भगवान शिव से जुड़ी जानकारी

सदाशिव जी ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विलय के लिए क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की। इस तरह शिव जी ब्रह्मांड के रचयिता हुए और शंकर जी उनकी एक रचना।

भगवान शिव और शंकर में क्या भेद है?

सदाशिव और शंकर में भेद

वैसे भी कौन मानेगा कि शिव और शंकर अलग अलग है। हमें तो बचपन से यही बताया गया है ना कि शिवशंकर एक ही है। यहाँ तक की दोनों नाम हम अक्सर साथ में ही लेते है।अगर हम आपको ये कहे कि शिव और शंकर ना सिर्फ अलग अलग है बल्कि शंकर की उत्त्पति भी शिव से ही हुई है। शिव ही प्रारंभ है और शिव ही अंत है।

शिव और शंकर में सबसे बड़ा और समझने में आसान अंतर दोनों की प्रतिमा में है। भगवान शिव और शंकर की प्रतिमा जहाँ पूर्ण आकार में होती है वही शिव की प्रतिमा लिंगम रूप में होती है या अंडाकार अथवा अंगूठे के आकार की होती है।

महादेव शंकर

शंकर भी ब्रह्मा और विष्णु के तरह देव है और सूक्ष्म शरीरधारी है। ब्रम्हा और विष्णु की तरह शंकर भी सूक्ष्म लोक में रहते है। शंकर भी विष्णु और ब्रम्हा की तरह ही परमात्मा शिव की ही रचना है। शंकर को महादेव भी कहा जाता है परन्तु शंकर को परमात्मा नहीं कहा जाता क्योंकि शंकर का कार्य केवल संहार है। पालन एवं निर्माण शंकर का कर्तव्य नहीं है।

शिव

शंकर से अलग शिव परमात्मा है। शिव का कोई शरीर नहीं कोई रूप नहीं है। भगवान शिव और शंकर, , ब्रम्हा और विष्णु की तरह सूक्ष्मलोक में नहीं रहते। उनका निवास तो सूक्ष्म लोक से परे है। शिव ही ब्रम्हा विष्णु शंकर त्रिदेवों के रचियेता है। शिव ही विश्व का निर्माण, कल्याण और विनाश करते है जिसका माध्यम ब्रह्मा, विष्णु और महेश होते है देखा आपने कि कैसे एक दुसरे से भिन्न है शिव और शंकर। अब आपको आसानी होगी ये जानने की कि किसकी उपासना करते है आप बात को आगे बढ़ाते हुए आपको एक और जानकारी देते है।

सबका जन्म दिन होता है क्या आपने कभी सोचा है कि शिव ही एक मात्र ऐसे है जिनके जन्मदिन को शिवरात्रि कहा जाता है। इसका भी एक कारण है रात्रि का मतलब शाब्दिक नहीं है यहाँ रात्रि का अर्थ कुछ और है।

यहाँ रात्रि से अभिप्राय ये है कि पाप, अन्याय, बुराइयाँ। जब काल के साथ साथ मनुष्य नीचता की और बढ़ता चला गया उस समय की तुलना रात्रि से की गयी है और उस गहरी रात्रि को शिव प्रकट होते है अर्थात जन्म लेते है।

शिव के जन्म की रात्रि के बाद रात्रि अर्थात अन्धकार का अंत हो जाता है और मनुष्यता एक बार फिर उन्नत हो जाती है।ये था शिव और शंकर में अंतर और शिव जन्म को शिव रात्रि कहने का भेद।

सती और पार्वती के पति भगवान शंकर को सदाशिव के कारण शिव भी कहा जाता है। हम इन्हीं भगवान शंकर की बात करेंगे जिन्हें महादेव भी कहा गया है। भगवान शंकर के बारे में कुछ इस तरह की भ्रंतियां फैली हैं जो कि अपमानजनक है। वे लोग इसके दोषी हैं, जो जाने-अनजाने भगवान शिव का अपमान करते रहते हैं।

यदि आप भगवान शंकर के भक्त हैं तो आपको यह जान और सुन कर धक्का लगना चाहिये, क्योंकि भगवान शंकर हिन्दू धर्म का मूल तना है, रीढ़ है। रामचरित मानस में भगवान राम कहते हैं कि ‘शिव का द्रोही मुझे स्वप्न में भी पसंद नहीं।’..

अपराधियों का साथी या उसे नजरअंदाज करने वाला भी अपराधी होता है। शिव के मंदिर में जाने और वहां पूजा, प्रार्थना करने के कुछ नियम होते है। यह सही है कि भगवान शंकर भोलेनाथ है। वे बड़े दयालु हैं, आपको क्षमा कर देंगे। लेकिन आपने उनके मंदिर में जाकर किसी भी तरह से नियम विरूद्ध कार्य किया या अपमान किया है तो आपको माता कालिका देख रही है। भगवान भैरव और शनिदेव भी देख रहे हैं। शैव पंथ पर चलाना या शिव की पूजा करना कठिन है। यह अग्निपथ है।

आओ हम आपको बताते हैं कि भगवान शिव के बारे में समाज में किस तरह की भ्रांतियां फैला रखी और उस भ्रांति को अभी तक बढ़ावा दिया जा रहा है

क्या शिवलिंग का अर्थ शिव का शिश्न है?

बहुत से मूर्ख लोग हमारे धर्म और भगवान का मज़ाक़ बनाने के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करते है।

स्वयं हम जानकारी के अभाव में उनका जवाब नहीं दे पाते।

यह दुख की बात है कि बहुत से लोगों ने कालांतर में योनि और शिश्न की तरह शिवलिंग की आकृति को गढ़ा और वे उसके चित्र भी फेसबुक और व्हाट्सऐप पर पोस्ट करते रहते हैं। वे इसके लिए कुतर्क भी देते रहते हैं। उक्त सभी लोगों को मरने के बाद इसका जवाब देना होगा, क्योंकि शिव का अपमान करने वाला किसी भी परिस्थिति में बच नहीं सकता। शिव से ही सभी धर्म है और शिव से ही प्रलय भी।

दरअसल, शिवलिंग का अर्थ है भगवान शिव का आदि-अनादी स्वरूप। शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्मांड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है। जिस तरह भगवान विष्णु का प्रतीक चिन्ह शालिग्राम है उसी तरह भगवान शंकर का प्रतीक चिन्ह शिवलिंग है। इस पींड की आकृति हमारी आत्मा की ज्योति की तरह होती है।

Sadashiv ji created three subtle deities named Brahma, Vishnu and Mahesh for the establishment, maintenance and merger of the universe respectively.

Difference between Sadashiv and Shankar

In this way Shiv ji became the creator of the universe and Shankar ji was his creation.

Anyway, who would believe that Shiva and Shankar are different?

 We have been told since childhood that there is only one Shivshankar. Even we often take both the names together. If we tell you that Shiva and Shankar are not only different but Shankar also originated from Shiva. Shiva is the beginning and Shiva is the end. 

 The biggest and easy to understand difference between Shiva and Shankar is in the iconography of both. While the idol of Shankar is in full size, the idol of Shiva is in the form of Lingam or oval or thumb shaped.

 Mahadev Shankar 

Like Brahma and Vishnu, Shankar is also a god and has a subtle body. Like Brahma and Vishnu, Shankar also lives in the subtle world. Like Vishnu and Brahma, Shankar is also the creation of Lord Shiva. Shankar is also called Mahadev but Shankar is not called God because Shankar’s work is only destruction. It is not the duty of Shankar to nurture and create. 

Shiva 

Shiva is God, different from Shankar. Shiva has no body and no form. Shiva does not live in the subtle world like Shankar, Brahma and Vishnu. His residence is beyond the subtle world. Shiva is the creator of Brahma, Vishnu and Shankar trinity. Only Shiva creates, blesses and destroys the world, whose mediums are Brahma, Vishnu and Mahesh. You have seen how Shiva and Shankar are different from each other. Now it will be easier for you to know whom they worship. Taking the matter further, we will give you one more information.  

Everyone has a birthday. Have you ever thought that Shiva is the only one whose birthday is called Shivratri? 

There is also a reason for this, the meaning of night is not literal, here the meaning of night is something else. 

 Here night means sins, injustice and evils. When with the passage of time man started moving towards degradation, that time has been compared to the night and on that deep night Shiva appears i.e. takes birth. 

 After the night of Shiva’s birth, night i.e. darkness ends and humanity once again becomes advanced. This was the difference between Shiva and Shankar and the difference in calling Shiva’s birth as Shiva Ratri. 

 Lord Shankar, husband of Sati and Parvati, is also called Shiva because of Sadashiv. We will talk about this Lord Shankar who is also called Mahadev. Some such misconceptions have spread about Lord Shankar which is insulting. Those people are guilty of this, who keep insulting Lord Shiva knowingly or unknowingly.  

If you are a devotee of Lord Shankar, then you should be shocked to know and hear this, because Lord Shankar is the basic stem and backbone of Hindu religion. Lord Ram says in Ramcharit Manas that ‘I don’t like Shiva’s traitor even in my dreams.’ 

 An accomplice of a criminal or someone who ignores him is also a criminal. There are some rules for going to Shiva’s temple and worshiping and praying there. It is true that Lord Shankar is Bholenath. He is very merciful and will forgive you. But if you go to her temple and act against the rules or insult her in any way, then Mata Kalika is watching you. Lord Bhairav ​​and Shanidev are also watching. It is difficult to follow the Shaiva sect or worship Shiva. This is Agneepath. Let us tell you what kind of misconceptions have been spread in the society about Lord Shiva and that misconception is still being promoted. 

 Does Shivalinga mean Shiva’s penis?

 It is sad that over time, many people have created the shape of Shivalinga like vagina and penis and they also keep posting its pictures on Facebook and WhatsApp. They also keep giving false arguments for this. All the above mentioned people will have to answer for this after death, because one who insults Shiva cannot escape under any circumstances. All religions are from Shiva and doomsday is also from Shiva. Actually, Shivalinga means the eternal form of Lord Shiva. It is called Linga because it is a symbol of void, sky, infinity, universe and formless Supreme Being. Just as the symbol of Lord Vishnu is Shaligram, similarly the symbol of Lord Shankar is Shivalinga. The shape of this mass is like the light of our soul.

 

2 thoughts on “भगवान शिव और शंकर में क्या भेद है?”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

शिव पुराण सत्रहवां अध्याय – सती को शिव से वर की प्राप्तिशिव पुराण सत्रहवां अध्याय – सती को शिव से वर की प्राप्ति

शिव पुराण  सत्रहवां अध्याय – श्री रूद्र संहिता (द्वितीय खंड) विषय :- सती को शिव से वर की प्राप्ति ब्रह्माजी कहते हैं- हे नारद! सती ने आश्विन मास के शुक्ल

शिव

शिव पुराण : तीसरा अध्याय – श्री रूद्र संहिता(पंचम खंड)शिव पुराण : तीसरा अध्याय – श्री रूद्र संहिता(पंचम खंड)

शिव पुराण तीसरा अध्याय – श्री रूद्र संहिता(पंचम खंड) ( शिव ) विषय-भगवान शिव का देवताओं को विष्णु के पास भेजना ब्रह्माजी बोले- हे नारद! इस प्रकार सब देवताओं ने

शिव

शिव पुराण शिव पुराण 

शिव पुराण ( श्री रुद्र संहिता ) पहला अध्याय श्री रुद्र संहिता ( पंचम खण्ड) विषय ( शिव ) तारकपुत्रों की तपस्या एवं वरदान प्राप्ति नारद जी बोले- हे प्रभो! आपने