IUNNATI CHANAKYA NITI चाणक्य नीति

चाणक्य नीति

तृतीय अध्याय

श्लोक:-४

दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जनः।

सर्पो दंशति कालेन दुर्जनस्तु पदे पदे।।४।।

भावार्थ– दुष्ट और सांँप की तुलना की जाए तो दोनों में सांँप बेहतर है। क्योंकि साँप तो समय आने पर ही काटता है, लेकिन दुष्ट इंसान तो कदम-कदम पर काटता है, हानि पहुंचाता है, बुराई करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

CHANAKYA NITI LESSON FOR LIFECHANAKYA NITI LESSON FOR LIFE

चाणक्य नीति   तृतीय अध्याय  श्लोक : २०  धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोअ्पि न विद्यते।  जन्म-जन्मनि मर्त्येषु मरणं तस्य केवलम्।।२०।।  भावार्थ – मनुष्य देह धारण करने पर भी जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति    द्वितीय अध्याय  श्लोक :- १२  लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः।  तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न तु लालयेत्।।१२।।  भावार्थ — प्यार-दुलार से बेटे और शिष्य में बहुत से दोष

CHANAKYA NITI SHLOKCHANAKYA NITI SHLOK

चाणक्य नीति  तृतीय अध्याय  श्लोक : १९  उपसर्गेअ्न्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे। असाधुजनसम्पर्के यः पलायति सः जीवति ।।१९।। भावार्थ – आग लगने, बाढ़ आने, सूखा पड़ने, उल्कापात, अकाल, आतताइयों द्वारा