एकंबरेश्वर मंदिर पौराणिक कथा,इतिहास,आक्रमण और पहुँचने का मार्ग
एकंबरेश्वर मंदिर, भारत के तमिलनाडु राज्य में कांचीपुरम शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और पंच भूत स्थलों में से एक के रूप में प्रसिद्ध है, जो पृथ्वी तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंदिर भारतीय वास्तुकला के अद्वितीय उदाहरणों में से एक है और इसकी संरचना और वास्तुकला का विशेष महत्व है।
मंदिर की विशेषताएँ :
1.शिवलिंग
एकंबरेश्वर मंदिर में प्रमुख आकर्षण एक विशाल शिवलिंग है, जिसे भगवान शिव का प्रतिनिधित्व किया जाता है। इस शिवलिंग के चारों ओर एक विशाल प्राकार है, जो लिंग की श्रृंगार को अद्वितीय बनाता है।
2.गोपुरम्स
मंदिर के प्रवेश द्वार को विशाल गोपुरम्स से सजाया गया है। इन गोपुरम्स की शैली दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है और इसे भव्यता और शोभा का प्रतीक माना जाता है।
3.अन्य मंदिर
मंदिर के आस-पास कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इन मंदिरों में महालक्ष्मी, सरस्वती, गणेश, और कार्तिकेय की मूर्तियां स्थित हैं।
कालक्षेपम
एकंबरेश्वर मंदिर के पास कालक्षेपम नदी बहती है, जिसका संबंध प्राचीन काल की महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक कथाओं से है।
पौराणिक कथा
प्राचीन काल में, एकंबरेश्वर मंदिर के स्थल पर एक वन था जो महामुनि गौतम ऋषि का आश्रम था। एक दिन, भगवान शिव और पार्वती ने मुनि गौतम के आश्रम का दर्शन किया। मुनि गौतम ने अपने आश्रम के सुख और शांति के लिए देवों की कृपा को प्राप्त किया और उन्हें पूजा की। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग की स्थापना की, जिसे एकंबरेश्वर कहा गया।
अन्य एक कथा के अनुसार, एकंबरेश्वर मंदिर का निर्माण भगवान ब्रह्मा के आदेश पर किया गया था। यह कथा कहती है कि ब्रह्मा ने महाविष्णु के आदेश पर एक स्थान ढूंढ़ा जहां वे स्थाई रूप से समाये जा सकते हैं। इसलिए वे एकंबरेश्वर स्थान की स्थापना की, जो भगवान शिव के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।
यह पौराणिक कथाएँ एकंबरेश्वर मंदिर के महत्वपूर्ण निर्माण से जुड़ी हैं और इस मंदिर की प्राचीनता और धार्मिक महत्वता को बताती हैं।
एकंबरेश्वर मंदिर पर कई बार ऐतिहासिक और सामाजिक आक्रमण हुए हैं। कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख निम्नलिखित है:
मुघल आक्रमण
मुघल साम्राज्य के समय में, एकंबरेश्वर मंदिर भी आक्रमण का शिकार हुआ। मंदिर को नष्ट किया गया और उसके संरचनात्मक अंगों को हानि पहुंचाई गई।
ब्रिटिश आधिकारिकता के दौरान
ब्रिटिश आधिकारिकता के काल में, एकंबरेश्वर मंदिर पर भी आक्रमण हुआ। मंदिर के संरचनात्मक और सांस्कृतिक महत्व को क्षति पहुंचाई गई और उसका पुनर्निर्माण कार्य किया गया।
समूचा समर्थ भारत आंदोलन
समूचा समर्थ भारत आंदोलन के दौरान, एकंबरेश्वर मंदिर को आक्रमण का शिकार होना पड़ा। आंदोलन के द्वारा, लोगों ने मंदिर की सुरक्षा की मांग की और उसके पुनर्निर्माण के लिए अभियान चलाया।
ये घटनाएं एकंबरेश्वर मंदिर के इतिहास में उसके संरचनात्मक संरक्षण और महत्व की प्रमुखता को बताती हैं। इन आक्रमणों के बावजूद, मंदिर ने अपनी प्राचीनता, धार्मिकता और विरासत को संरक्षित रखा है और आज भी लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
एकंबरेश्वर मंदिर जाने के मार्ग
1.ट्रेन से
=जबलपुर रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी, ऑटोरिक्शा या बस का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मंदिर लगभग 8-10 किलोमीटर की दूरी पर है।
2.बस
जबलपुर बस स्टैंड से आप टैक्सी, ऑटोरिक्शा या बस का इस्तेमाल करके मंदिर पहुंच सकते हैं।
3.व्यक्तिगत वाहन
आप खुद के वाहन का इस्तेमाल करके भी मंदिर पहुंच सकते हैं। मंदिर जाने के लिए रोड नंबर १२ का प्रयाग करें जो जबलपुर और मंदिर को जोड़ता है।
4.हवाई यात्रा
जबलपुर एयरपोर्ट से आप टैक्सी, ऑटोरिक्शा या बस का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं। मंदिर लगभग 20-25 किलोमीटर की दूरी पर है।
इन मार्गों का उपयोग करके आप आसानी से एकंबरेश्वर मंदिर तक पहुंच सकते हैं। जबलपुर से मंदिर के प्रति नियमित बस सेवा भी उपलब्ध है।
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