आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 27 सितम्बर 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2080
शक संवत् – 1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी रात्रि 10:18 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – धनिष्ठा सुबह 07:10 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग – धृति सुबह 07:54 तक तत्पश्चात शूल
राहु काल – दोपहर 12:31 से 02:01 तक
सूर्योदय – 06:30
सूर्यास्त – 06:31
दिशा शूल – उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:54 से 05:42 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:07 से 12:55 तक
व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत
विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34
महालय श्राद्ध
पितृपक्ष : 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर 2023
जिनके कुल खानदान में श्राद्ध नहीं होते हैं उनके कुल खानदान में दीर्घजीवी, बुद्धिमान एवं माता-पिता की आदर करनेवाली संतानें नहीं होती । विष्णु पुराण में कहा कि पितृगणहीन जो पितृगण की पूजन या पितरों को नहीं मानता वो पितृगणहीन ब्रह्मा, इन्द्र, रुद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि और अष्टवसु, वायु, ऋषि, मनुष्य पशु-पक्षी, सरीसृप समस्त प्राणी उसके सत्कृत्यों से संतुष्ट नहीं होते, स्वीकार नहीं करते हैं । लेकिन जो पितृ पूजन आदि करता हैं उनपर इन सभी की प्रसन्न दृष्टि रहती है ।
कैसे हो पितृदोष का निवारण ?
मृतक का विधिवत् अंतिम संस्कार व श्राद्ध न करने से, पितरों का अपमान करने से, पीपल आदि देववृक्षों को काटने या कटवाने से, किसी निर्दोष जानवर को सताने आदि से पितृदोष होता है । इससे पारिवारिक कलह, अशांति और विघ्न- बाधाएँ आती हैं । इन उपायों को करने से आप पितृदोष का निवारण कर सकते हैं :
देवी भागवत में आता है कि भगवान नारायण नारदजी से कहते हैं: ‘जो स्वधा देवी की उपासना न करके श्राद्ध करता है उसके श्राद्ध और तर्पण सफल नहीं होते।’ तो श्राद्ध के दिनों में शांति से बैठकर पितृदोष-निवृत्ति के लिए स्वधा देवी को प्रार्थना करें और इस मंत्र का जप करें:* *ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा ।
पितृपक्ष में एक लोटे में पानी, थोड़ा-सा गंगाजल व गाय का दूध ले के उसमें फूल, तुलसी के पत्ते तथा काले तिल डालकर दोपहर के समय मन-ही-मन भगवन्नाम-उच्चारण करके पितरों के कल्याण का चिंतन करते हुए पीपल के पेड़ में चढ़ायें ।
श्राद्धपक्ष के दिनों में शाम के समय दक्षिण दिशा की ओर तिल के तेल का अथवा गाय के घी का दीपक जलायें । थोड़ी देर शांत बैठकर गुरुमंत्र या इष्टमंत्र का जप करें और उसका पुण्यफल पितरों को अर्पण करें ।
त्रिकाल संध्या में गौ-चंदन धूपबत्ती जलाकर अथवा गौ-गोबर के कंडों पर गूगल का धूप (गूगल धूप ) करके ध्यान, जप करें । बीच- बीच में बूंद-बूंद घी डालते रहें । आरती के समय कपूर जलायें । इससे घर का वातावरण शुद्ध रहता है और पितृदोष का शमन होता है (अन्य दिनों में भी इस प्रकार त्रिकाल संध्या करने से घर का वातावरण सात्त्विक होगा, रोजी-रोटी की चिंता नहीं करनी पड़ेगी)।
कैसे पायें लक्ष्मीजी की प्रसन्नता ?
धनप्राप्ति में मददरूप होंगे ये प्रयोग
नवरात्रि के दिनों में किसी भी एक दिन हल्दी व चावल के चूर्ण में थोड़ा-सा पानी डालकर बनाये घोल से घर के मुख्य द्वार पर ‘ॐ’ लिखें । इससे घर में धन का आगमन होता है ।
गाय को गन्ना या गुड़ खिलाने से धनप्राप्ति में लाभ होता है ।
गरीबों, जरूरतमंदों को वस्त्र, अनाज, दक्षिणा आदि देना शुभ माना जाता है । इससे लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं और आर्थिक विघ्न-बाधायों का निवारण होता हैं ।
शंख बजाने से घर की ऋणात्मक ऊर्जा दूर होती है तथा धनात्मक ऊर्जा बढ़ती है । यह आर्थिक लाभ प्राप्त करने में भी मददरूप है ।” ll जय श्री राम ll “