IUNNATI HINDU PANCHANG हिन्दू पंचांग 23 सितम्बर 2023

हिन्दू पंचांग 23 सितम्बर 2023

आज का हिन्दू पंचांग 

दिनांक – 23 सितम्बर 2023

दिन – शनिवार

विक्रम संवत् – 2080

शक संवत् – 1945

अयन – दक्षिणायन

ऋतु – शरद

मास – भाद्रपद

पक्ष – शुक्ल

तिथि – अष्टमी दोपहर 12:17 तक तत्पश्चात नवमी

नक्षत्र – मूल दोपहर 03:56 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा

योग – सौभाग्य रात्रि 09:31 तक तत्पश्चात शोभन

राहु काल – सुबह 09:30 से 11:01 तक

सूर्योदय – 06:28

सूर्यास्त – 06:35

दिशा शूल – पूर्व दिशा में

ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:54 से 05:41 तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:08 से 12:56 तक

व्रत पर्व विवरण – गौरी-विसर्जन, दधीचि ऋषि जयन्ती, राधाष्टमी

विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

त्रिकाल संध्या : (भाग -1)त्रिकाल संध्या से होनेवाले लाभों को बताते हुए कहते हैं कि  “त्रिकाल संध्या माने हृदयरूपी घर में तीन बार साफ-सफाई । इससे बहुत फायदा होता है ।

त्रिकाल संध्या करने से:–

 १] अपमृत्यु आदि से रक्षा होती है और कुल में दुष्ट आत्माएँ, माता-पिता को सतानेवाली आत्माएँ नहीं आतीं ।

 २] किसीके सामने हाथ फैलाने का दिन नहीं आता । रोजी – रोटी की चिंता नहीं सताती ।

 ३] व्यक्ति का चित्त शीघ्र निर्दोष एवं पवित्र हो जाता है । उसका तन तंदुरुस्त और मन प्रसन्न रहता है  तथा उसमें मंद व तीव्र प्रारब्ध को परिवर्तित करने का सामर्थ्य आ जाता है । वह तरतीव्र प्रारब्ध के उपभोग में सम एवं प्रसन्न रहता है । उसको दुःख, शोक, ‘हाय-हाय’ या चिंता अधिक नहीं दबा सकती ।

 ४] त्रिकाल संध्या करनेवाली पुण्यशीला बहनें और पुण्यात्मा भाई अपने कुटुम्बियों एवं बच्चों को भी तेजस्विता प्रदान कर सकते हैं ।

 ५] त्रिकाल संध्या करनेवाले माता – पिता के बच्चे दूसरे बच्चों की अपेक्षा कुछ विशेष योग्यतावाले होने की सम्भावना अधिक होती है ।

 ६] चित्त आसक्तियों में अधिक नहीं डूबता । उन भाग्यशालियों के संसार-बंधन ढीले पड़ने लगते हैं ।

 ७] ईश्वर – प्रसाद पचाने का सामर्थ्य आ जाता है ।

८] मन पापों की ओर उन्मुख नहीं होता तथा पुण्यपुंज बढ़ते ही जाते हैं ।

 ९] ह्रदय और फेफड़े स्वच्छ व शुद्ध होने लगते हैं ।

 १०] ह्रदय में भगवन्नाम, भगवदभाव अनन्य भाव से प्रकट होता है तथा वह साधक सुलभता से अपने परमेश्वर को, सोऽहम्  स्वभाव को, अपने आत्म-परमात्मरस  को यही अनुभव कर लेता है ।

 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)

 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)

आर्थिक कष्ट निवारण हेतु

एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।” ll जय श्री राम ll 

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