चाणक्य नीति
तृतीय अध्याय
श्लोक : २१
मूर्ख यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसञ्चितम्।
दम्पत्येः कलहो नाअ्स्ति तत्र श्रीः स्वयमागता ।।२१।।
भावार्थ – जिस जगह मूर्ख पूजित नहीं होते और जहाँ अन्न आदि बहुत ज़्यादा मात्रा में एकत्र रहते है और जहाँ पति-पत्नि में लड़ाई-झगड़ा, वाद-विवाद नहीं होता-वहाँ लक्ष्मी ख़ुद आकर रहती है।।