IUNNATI CHANAKYA NITI चाणक्य नीति

चाणक्य नीति

चाणक्य नीति ⚔️

✒️ द्वितीय अध्याय

♦️श्लोक:-१८

गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम्।

प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धाअ्रण्यं मृगास्तथा।।१८।।

♦️भावार्थ– पुरोहित दक्षिणा लेकर यजमान को छोड़ देते हैं, शिष्य विद्या प्राप्ति के बाद गुरु-दक्षिणा देकर आश्रम से चले जाते हैं और जानवर जंगल के जलने पर वहां से चले जाते हैं।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय चाणक्य नीति दैनिक अध्याय 

चाणक्य नीति दैनिक अध्याय  ।। अथ: चाणक्य सूत्रं प्रारभ्यते ।।【चाणक्य सूत्र】  चाणक्य सूत्र : २१३ ।। प्रज्ञाफलमैश्वर्यम् ।।  भावार्थ:-बुद्धि का ही फल ऐश्वर्य है। संक्षिप्त वर्णन :-संसार में बुद्धिमान मनुष्य

चाणक्य नीतिचाणक्य नीति

 चाणक्य नीति  द्वितीय अध्याय  श्लोक : १ अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलुब्धता।* अशीचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः।।१।। भावार्थ – स्त्रियाँ स्वभाव से असत्य बोलने वाली, बहुत बहादुर, छली, कपटी, धोखेबाज, अत्यंत

CHANAKYA NITICHANAKYA NITI

चाणक्य नीति    द्वितीय अध्याय  श्लोक :- १२  लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः।  तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न तु लालयेत्।।१२।।  भावार्थ — प्यार-दुलार से बेटे और शिष्य में बहुत से दोष