देखत रूप चराचर मोहा. ( श्रीराम )
श्रीराम , कल आपकी छवि निहारी। हमारे तन मन धन्य हो गए, तीनों भुवन धन्य हो गए।आप तो स्वयं धर्म का विग्रह हैं। किंतु आपका विग्रह, इतना अनुपम; देखकर हमारे हृदय छलक आए, हमारी आंखों में एक पुलक आई, हमारे गले अवरुद्ध हो गए।
भगवन् श्रीराम , पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण; पूरा भारत राममय। आपके नाम की महिमा का बखान चहुंओर। मॉल से लेकर चाय की टपरी तक, अस्पताल से लेकर विद्यालयों तक, रेलवे स्टेशन से लेकर रिक्शा स्टैंड तक, केवल आपके स्वागत गीत, श्रीराम आएंगे, तो अंगना सजाऊंगी।
श्रीराम
पूरा भारत भाव-विभोर हो उठा है। आप पधार रहे… आपके आने की प्रसन्नता में बच्चे, बूढ़े सब झूम रहे। माताएं मंगल गीत गा रहीं। मंदिरों में सफाई हो रहीं। भारत वर्ष के सारे तीर्थस्थल आपके आगमन की सूचना पाकर पुलकित हैं। घर द्वारों पर बंदनवार सजे हैं। रंगोलियां बन रहीं। प्रत्येक ओर भगवा ध्वज लहरा रहे। और आपका धाम, साकेतपुरी देखने के लिए एक जोड़ी आंखें पर्याप्त नहीं हैं, प्रभु।
पांच शताब्दियों की प्रतीक्षा, प्रभु श्रीराम ! पांच शताब्दियों की प्रतीक्षा। कई कारसेवकों के प्राण गए, कई माताओं ने अपने बाल नहीं बाँधे, आपके रक्तवंशजों ने पगड़ी नहीं बाँधी, कई लोगों ने अपने घर नहीं बनवाए, क्योंकि आप अनिकेत थे, राम।
हम आपके धैर्य के मंत्र का जाप करते और अदालत में हाजरी देते। जब असह्य हुआ, तो आपका क्षात्र मंत्र प्रयोग में लिया।हम लड़ते लड़ते यहां तक पहुंच गए। आप सर्वत्र हैं। आप घट घट वासी हैं। आप लोक और शास्त्र की अन्विति हैं, आप सकल चराचर में व्याप्त हैं।
लेकिन, आप हमें विग्रह के लिए प्रसन्न होने दीजिए। आप तो खैर संसारी टोटकों से दूर हैं… मैं भरत जी के पास जाता हूं। आत्मीय भरत जी, हमारे आराध्य के आगमन के स्वागत की तैयारी में कोई कमी तो नही है न? यदि कोई आज्ञा हो, तो कहिए, यह कृतज्ञ भारत आपकी प्रत्येक आज्ञा की अनुपालना के लिए तत्पर खड़ा है, नग्न पांव।