हिंदू पंचांग
आज की हिंदी तिथि युगाब्द-५१२५
विक्रम संवत-दिनांक – 29 दिसम्बर 2023
दिन – शुक्रवार
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
नक्षत्र – पुष्य 30 दिसम्बर प्रातः 03:10 तक
योग – वैधृति रात्रि 02:29 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
राहु काल – सुबह 11:21 से 12:42 तक
सूर्योदय – 07:20
सूर्यास्त – 06:04
दिशा शूल – दक्षिण
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:33 से 06:26 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:15 से 01:08 तक
व्रत पर्व विवरण –
विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान-स्थल की महत्ता
कमरे में पूर्व व उत्तर दिशा के बीचवाले कोने से कमरे की पूर्वी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग व उत्तरी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग लेकर जो आयताकार स्थल बनता है, वह ‘ईशान-स्थल’ कहलाता है । १२ X १८ के कमरे का ईशान-स्थल ४ X ६ का होगा । खुले भूमिखंड के विषय में भी ऐसे ही समझना चाहिए ।
सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।
सुख-समृद्धि में वृद्धि हेतु
भूमिखंड के ईशान कोण तथा पूर्व एवं उत्तर दिशा में खाली भाग अधिक होना चाहिए और इन भागों में अपेक्षाकृत वजन में हलके व कम ऊँचाईवाले पेड़-पौधे लगाने चाहिए । भूमिखंड के ईशान-स्थल में तुलसी, बिल्व व आँवला लगाना सुख-समृद्धिकारक है ।ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।
सायटिका का इलाज
लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकायें । पानी जल जाने पर लहसुन खाकर दूध पीने से सायटिका में लाभ होता है ।
निर्गुण्डी के 40 ग्राम हरे पत्ते अथवा 15 ग्राम सूखे पत्ते एवं 5 ग्राम सोंठ को थोड़ा कूटकर 350 ग्राम पानी में उबालें । 60-70 ग्राम पानी शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पीने से सायटिका में लाभ होता है ।
अनमोल युक्तियाँ
उत्तम संतान के लिए : घर में देशी गाय की सेवा अच्छा उपाय है ।
यम के भय से मुक्ति : शिव पुराण व स्कंद पुराण में कहा गया है कि गौ-सेवा करने और सत्पात्र को गौ-दान करने से यम का भय नहीं रहता ।
पाप – ताप से मुक्ति : जब गायें जंगल से चरकर वापस घर को आती है, उस समय को गोधूलि-वेला कहा जाता है । गाय के खुरों से उठनेवाली धूलराशि समस्त पाप–तापों को दूर करनेवाली है ।
ग्रहबाधा – निवारण : गायों को नित्य गोग्रास देने तथा सत्पात्र को गौ-दान करने से ग्रहों के अनिष्ट – निवारण में मदद मिलती है ।