~ आज का हिन्दू पंचांग ~*
*दिनांक – 12 फरवरी 2023*
*दिन – रविवार*
*विक्रम संवत् – 2079*
*शक संवत् – 1944*
*अयन – उत्तरायण*
*ऋतु – शिशिर*
*मास – फाल्गुन (गुजरात, महाराष्ट्र में माघ)*
*पक्ष – कृष्ण*
*तिथि – षष्ठी सुबह 09:45 तक ततपश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र – स्वाती रात्रि 02:27 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग – गण्ड दोपहर 03:35 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल – शाम 05:09 से 06:34 तक*
*सूर्योदय – 07:14*
*सूर्यास्त – 06:34*
*चंद्रोदय – रात्रि 12:20*
*दिशा शूल – पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:33 से 06:23 तक*
*निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 से 01:19 तक*
*व्रत पर्व विवरण – रविवारी सप्तमी, माँ यशोदा जयंती*
*विशेष – षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*आयुष्य, आरोग्य, ऐश्वर्य, सम्पत्ति और कीर्ति बढ़ाने के लिए*
*ॐ ह्रीं घृणि: सूर्य आदित्य: क्लीं ॐ*
*सुख-सौभाग्य की वृद्धि करने एवं दुःख-दारिद्र्य को दूर करने के लिए तथा रोग व दोष के शमन के लिए इस प्रभावकारी मंत्र की साधना रविवार के दिन से करने चाहिए । रविवार को खुले आकाश के नीचे पूर्व की ओर मुख करके शुद्ध ऊन के आसन पर अथवा कुशासन पर बैठकर काले तिल, जौ, गूगल, कपूर और घी मिश्रित शाकल (हवन-सामग्री) तैयार करके आम की लकड़ियों से अग्नि को प्रदीप्त कर उपरोक्त मंत्र से १०८ आहुतियाँ दें । तत्पश्च्यात सिद्धासन लगाकर इसी मंत्र का १०८ बार जप करें । जप करते समय दोनों भौहों के मध्य भाग में भगवान सूर्य का ध्यान करते रहें । इस तरह ११ दिन तक करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है । इस साधना में रविवार का व्रत (बिना नमक का, तेलहीन भोजन सूर्यास्त से पहले दिन में एक ही बार करना अनिवार्य है ।)*
*इसके बाद प्रतिदिन स्नान के बाद ताम्र-पात्र में जल भरकर उपरोक्त मंत्र से सूर्य को अर्घ्य दें । जमीन पर जल न गिरे इसलिए नीचे दूसरा ताम्र-पात्र रखें । तत्पश्च्यात इस मंत्र का १०८ बार जप करें । मात्र इतना करने से आयुष्य, आरोग्य, ऐश्वर्य, सम्पत्ति और कीर्ति उत्तरोत्तर बढती हैं ।*
*रविवारी सप्तमी : 12 फरवरी 2023*
*पुण्यकाल : 12 फरवरी सुवह 09:45 से 13 फरवरी सूर्योदय तक*
*इस दिन किया गया जप-ध्यान का लाख गुना फल होता है ।*
*रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे, तो घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं ।*
*सूर्य पूजन विधि*
*१) सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ, आरती करें ।*
*२) जल में थोड़े चावल, शक्कर, गुड़, लाल फूल या लाल कुमकुम मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें ।*
*सूर्य अर्घ्य मंत्र*
*01. ॐ मित्राय नमः।*
*02. ॐ रवये नमः।*
*03. ॐ सूर्याय नमः।*
*04. ॐ भानवे नमः।*
*05. ॐ खगाय नमः।*
*06. ॐ पूष्णे नमः।*
*07. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।*
*08. ॐ मरीचये नमः।*
*09. ॐ आदित्याय नमः।*
*10. ॐ सवित्रे नमः।*
*11. ॐ अर्काय नमः।*
*12. ॐ भास्कराय नमः।*
*13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः ।*
*(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)*
*विशेष – घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।*
* रविवार विशेष*
* रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
* रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
* रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
* रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
* रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
* स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
* रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
* रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*