चाणक्य नीति
द्वितीय अध्याय
श्लोक :- १५
नदी तीरे च ये वृक्षाः परगृहेषु कामिनी।
मन्त्रिहीनश्च राजानः शीघ्रं नश्यन्त्नसंशयम्।।१५।।
भावार्थ — नदी के तट के पेड़, दूसरे के घर में रहने वाली सुंदर महिला तथा मंत्री हीन राजा-ये बहुत जल्दी नष्ट हो जाते हैं, इस बारे में कोई संदेह नहीं है।