नवरात्रि का तीसरा दिन
माँ चंद्रघंटा का स्वरूप ( नवरात्रि )
माँ चंद्रघन्टा का स्वरूप बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायक होता है। वह दस हाथों वाली देवी होती हैं, जिनमें से हर हाथ में एक अलग-अलग वाहन होता है। उनकी चेहरा शांति और प्रकाश से परिपूर्ण होती है। माँ चंद्रघन्टा के मुख पर हमेशा मुस्कान होती है और उनकी आँखों में दया और शांति की किरणें दिखाई देती हैं।
उनके सिर पर चंद्रमा का मुख होता है, जिसे वह चंद्रघण्टा कहलाती हैं। इसके अलावा, उनके परिधान भी बहुत ही सुंदर होते हैं, और उन्हें रत्नों और मुख्यतः चंद्रमा के चिन्हों से सजाया जाता है। माँ चंद्रघन्टा का यह स्वरूप भक्तों को शांति, सौभाग्य, और संजीवनी शक्ति की आशा देता है।
माता अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं इसलिए उनके हाथों में धनुष, त्रिशूल, तलवार और गदा होती है। देवी चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र नजर आता है, इसी वजह से श्रद्धालु उन्हें चंद्रघंटा कहकर बुलाते हैं।
पूजा विधि
माता की कथा
जब दैत्य स्वर्गलोक पर आक्रमण करके देवताओं को परास्त करने की सोच रखें हुए थे तब मां चन्द्रघण्टा असुरों के विनाश हेतु मां दुर्गा के तृतीय रूप में अवतरित होती है और भयंकर दैत्य सेनाओं का संहार करके देवताओं को विजयी बनाती है।
 
             
                                 
                                