बाबा खेतानाथ के जीवन से जुड़ी प्रमुख बातें उनका जन्म,मृत्यु,शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
बाबा खेतानाथ जीवनी
सामाजिक बुराइयों का विरोध
आध्यात्मिक क्षेत्र
राजनीति
बाबा खेतानाथ राजनीति में भी सकीर्य रहे थे। मुंडावर पंचायत समिति राजस्थान के अलवर ज़िले के प्रधान रहे थे।
उन्होंने अटेली विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का मन बनाया। उस समय हरियाणा में चौधरी देवीलाल की लहर चल रही थी। इसलिए चुनावों से पूर्व 1986 में ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने विश्वासपात्र चौधरी बंसीलाल को हरियाणा फतह के लिए केंद्र से वापस हरियाणा बुलाया।
स्व. बंसीलाल ने बाबा मस्तनाथ मठ अस्थल बोहर के महंत चांदनाथ को विश्वास में लेकर बाबा खेतानाथ को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाने के लिए मनाया। गुरुगद्दी के आदेश के सामने खेतानाथ मजबूर थे और न चाहते हुए भी उन्हें कांग्रेस का प्रत्याशी बनना पड़ा।
बाबा को हरा पाना किसी के बस की बात नहीं थी औ बाबा ने विजयी भव: का आशीर्वाद दिया। और स्वयं चुनाओ से दूर हो गये।र ये बात लोकदल पार्टी के प्रत्याशी कुक्सी गाँव के लक्ष्मीनारायण जी भली भाँति जानते थे इसीलिए ये स्वयं बाबा के पास गये और बाबा ने विजयी भव: का आशीर्वाद दिया। और स्वयं चुनाओ से दूर हो गये।
अंतिम समय
बाबा अपने अंतिम समय में राजस्थान के अलवर ज़िले में मस्तनाथ आश्रम जोशीहोडा में 28 दिसंबर 1990 को ब्रह्मालीन हो गए।